रूस ने गुरुवार को कहा कि वह भारत-चीन सीमा की स्थिति पर नजर बनाए हुए है और द्विपक्षीय वार्ता के बहु-स्तरीय तंत्र के मौजूदा ढांचे के भीतर दोनों पक्षों के बीच हुए समझौतों का स्वागत करता है। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने कहा कि हम भारत-चीन सीमा की स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। हमें उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के जिम्मेदार सदस्य होने के नाते दोनों देश, तनाव का समाधान शांतिपूर्ण तरीके खोजने में सक्षम होंगे।
एक संवादाता सम्मेलन में बोलते हुए, अधिकारी ने कहा कि रूस इस मुद्दे को हल करने के लिए भारत और चीन के बीच समझौतों का स्वागत करता है। हम 25 फरवरी को फोन पर बातचीत के दौरान चीन और भारत के विदेश मंत्रियों द्वारा किए गए समझौतों का स्वागत करते हैं। हम विदेशी हस्तक्षेप के बिना और द्विपक्षीय बातचीत के बहु-स्तरीय तंत्र के मौजूदा ढांचे के तहत मुद्दे को सुलझाने के दोनों पक्षों के संकल्प का सम्मान करते हैं।
मॉस्को समझौता लागू करने पर जयशंकर और वांग यी में हुई थी वार्ता
बता दें कि 25 फरवरी को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीनी समकक्ष वांग यी से बातचीत की थी। इस दौरान पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनाव को लेकर उनके बीच हुए मॉस्को समझौते के अमल पर चर्चा हुई थी। साथ दोनों के बीच सेनाओं की वापसी की स्थिति की भी समीक्षा की थी। बता दें कि शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक से इतर पिछले साल 10 सितंबर को जयशंकर और वांग यी के बीच पांच सूत्रीय समझौता हुआ थआ। इसमें सेनाओं को तत्काल पीछे हटाना, तनाव बढ़ाने वाली कार्रवाइयों से बचना, सीमा प्रबंधन पर सभी समझौतों व प्रोटोकाल के अनुपालन और एलएसी पर शांति बहाल करने के लिए कदम उठाना शामिल था।
दोनों देशों में कम हुआ तनाव
एलएसी पर एकतरफा ढंग से यथास्थिति बदलने की चीनी सेना की कार्रवाई के कारण पिछले साल अप्रैल-मई में भारत और चीन के बीच तनाव पैदा हो गया था। कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ता के बाद अग्रिम मोर्चों से सेना को पीछे हटाने की प्रक्रिया पर सहमति बनी। पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण दोनों किनारों से दोनों देशों की सेनाए पीछे हट गई हैं। हटा रहे हैं। पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण किनारे से सेनाओं के पीछे के हटने के बाद अब दूसरे अग्रिम मोर्चो से टकराव खत्म करने की दिशा में दोनों पक्ष काम कर रहे हैं।