रेलवे के तीन प्रमुख मोर्चों पर टिकी हैं सबकी निगाहें -सेफ्टी, स्पीड और कंफर्ट

रेलवे से आम जनता को तीन प्रमुख मोर्चों पर जिसमें सेफ्टी, स्पीड और कंफर्ट में राहत की उम्मीदें  हैं। रेलवे बोर्ड के पूर्व वित्तीय सलाहकार और रेल विकास निगम के निदेशक हरीश चंद्र ने कहा कि कल यानी एक फरवरी को आम बजट के साथ ही रेल बजट भी पेश करेंगे। गौरतलब है कि केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली 1 फरवरी 2018 को अपना चौथा पूर्णकालिक बजट पेश करेंगे। 

रेलवे को बजट में ज्यादा आवंटन की उम्मीद भले ही न हों लेकिन जानकारों का मानना है कि इस बार बजट में रेलवे को उम्मीद से कम ही आवंटन होगा। amarujala.com ने बजट में रेल से आम जनता से जुड़ी समस्याओं और उम्मीदों पर रेल विशेषज्ञ से राय जानी साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों से लोगों ने अपने सवाल भी पूछे।  

दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क भारतीय रेल है जिससे हर दिन लाखों यात्री सफर करते हैं। लेकिन इसका सेफ्टी रिकॉर्ड उतना बेहतर नहीं है। आंकड़ों के हिसाब से बीते तीन सालों में करीब 650 लोगों की रेल दुर्घटनाओं में मौत हो गई थी। वित्त वर्ष 2017 के शुरुआती 8 महीनों के दौरान 49 ट्रेन दुर्घटनाओं में करीब 48 लोगों की मौत हो गई और 188 लोग घायल हो गए थे।

साल 2017 के अगस्त महीने के दौरान सबसे बड़ी रेल दुर्घटना उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के खतौली क्षेत्र में हुई। कलिंगा उत्कल एक्सप्रेस में हुई इस दुर्घटना में करीब 23 लोगों की मौत हुई थी जबकि 156 लोग बुरी तरह से घायल हुए थे। बीते साल रेल मंत्री ने घोषणा की थी कि रेलवे ट्रैक के सुधार और सुरक्षा एवं रखरखाव श्रेणी के लिए 15000 करोड़ के अतिरिक्त खर्चे की घोषणा की थी। 

ट्रेन की लेट लतीफी की वजह ट्रैक मैनेजमेंट

ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि बजट 2018-19 में इन योजनाओं को फंड के जरिए समर्थन देने की कोशिश की जाएगी ताकि उनकी दीर्घकालिक व्यवहारिकता को सुनिश्चित किया जा सके। इसके अतिरिक्त, रेलवे स्टेशनों के बुनियादी ढांचे के उन्नयन के लिए मंत्रालय को अतिरिक्त पूंजी की आवश्यकता होगी। साथ ही रेलवे स्टेशनों के बुनियादी ढांचे के उन्नयन के लिए भी मंत्रालय को भी और पूंजी की आवश्यकता होगी।

वहीं ट्रेन की लेट लतीफी की वजह भी उन्होंने ट्रैक मैनेजमेंट बताया। जिसका मतलब यह है कि पैसेंजर और फ्रेट दोनों एक ही ट्रैक पर चलती है जिसकी वजह से दोनों ही ट्रेन का समय और गति दोनों ही प्रभावित होता है। फ्रेट कॉरीडोर बनाए जाने की बात चल रही है जिससे आने वाले समय में रेलवे को बड़ा फायदा होगा। फ्रेट ट्रेनों की स्पीड भी कम होती है  जिससे ग्राहकों को हम बता नहीं पाते कि आपका सामान कब पहुंचेगा। बजट में घोषणा होने के बाद भी हम स्पीड नहीं दे पा रहे हैं। रेलवे में निवेश कम हुआ है।

और दोनों मामलों में न तो नया शुरू हुआ है और न पुराने में भी काम आगे नहीं बढ़ा है। प्रोजेक्ट इंप्लीटेशन पर काफी जोर दिया जा रहा है। पीयूष गोयल पर ईयर के टार्गेट पर काफी कम कर रहे हैं।  फ्रेट स्ट्रक्चर इंबैलेंस्ड है जिसकी वजह से रेलवे की और नेशनल इकॉनोमी पर भी इसका असर पड़ता है। 

अगर रेलवे फ्रेट की बात करें तो जर्मनी के अलावा हमारे माल भाड़ा ढुलाई में भारतीय रेल सबसे ज्यादा किराया वसूलती है। पैसेंजर किराया सब्सिडी देकर माल भाड़े को बढ़ाया जाता रहा है जिससे रेलवे के फायदे को भारी नुकसान हुआ है। अगर सिर्फ चीन की बात करें तो क्रास सब्सिडी है जिसकी वजह से चीन में माल भाड़े को कम रखा गया है और यात्री किराया बढ़ाया जाता है जिसका प्रभाव वहां की इकॉनोमी पर सीधा दिखता है। उन्होंने आगे कहा कि रेलवे की स्थिति बिल्कुल वर्किंग विमेन की तरह है जिससे उम्मीद की जाती है कि वह ऑफिस भी संभाले और घर को भी समय दे। कुछ ऐसी ही उम्मीद रेलवे से की जाती है कि वो फायदे में भी रहे और यात्री भी ढोए।  

 
 
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