बिना सफर करवाए बीते तीन वर्षों में भारतीय रेलवे के आठ करोड़ कमाई करने के मामले में रेलवे मंत्रालय को पार्टी बनाकर जयपुर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। जनहित याचिका में ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट ने रिफंड पॉलिसी में बदलाव करने की मांग की है।
जयपुर हाईकोर्ट में मामले पर ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद सुनवाई होगी। जनहित याचिका में तर्क दिया है कि यदि नोटबंदी के दौरान ऑफलाइन टिकट के रद्द होने पर भी यात्रियों के खातों में पैसा रिफंड किया गया तो आम दिनों में यह संभव क्यों नही है। मांग की गई है कि ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों वेटिंग टिकट के लिए नियम सामान हों।
दोनों तरह के वेटिंग टिकट क्लीयर न होने पर अपने आप रद्द हों, रद्द टिकट का पैसा स्वत: ही यात्री के खाते में क्रेडिट हो। विंडो रिजर्वेशन फार्म में बदलाव हो और हर काउंटर पर स्वाइप मशीन लगे अथवा डिजिटल पेमेंट की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
याचिका में दिया गया है ये तर्क
ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट सुजीत स्वामी ने कहा कि याचिका में तर्क दिया गया है कि दो बार पीएमओ को ऑफलाइन रिजर्वेशन फार्म में अकाउंट नंबर लिंक करने का सुझाव दिया था, लेकिन पीएमओ ने इसे नकार दिया। दूसरी बार दिए सुझाव पर पीएमओ ने कोई जवाब नहीं दिया।
हालांकि, नोटबंदी के दौरान स्वत: ही रेलवे मंत्रालय ने विंडो टिकट कैंसलेशन में यात्रियों किराए यात्रियों के खाते में रिफंड कर दिया था। इसी व्यवस्था को नियमित रूप से लागू करने की मांग याचिका में की गई है।
ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद होगी सुनवाई
ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट सुजीत स्वामी के अधिवक्ता साजिद अली ने कहा कि बिना सफर करवाए किराया वसूलने के मामले में जनहित याचिका जयपुर हाईकोर्ट में दायर की गई है।
इसमें रिफंड पॉलिसी में बदलाव की मांग की गई है। ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद कोर्ट इस याचिका पर सुनवाई करेगा। आरटीआई में हुए खुलासों को आधार बनाकर जनहित याचिका दायर की गई है।