कोरोना से निपटने के लिए रेलवे मंडल अस्पताल को कोविड केअर अस्पताल तो बना दिया, लेकिन यहां अब ऑक्सीजन की आपूर्ति का संकट खड़ा हो गया है। इस अस्पताल को रोजाना 35 ऑक्सीजन सिलिंडर की जरूरत है, लेकिन मात्र पांच सिलिंडर की ही आपूर्ति हो पा रही है। इसे देखते हुए रेलवे ने ऑक्सीजन की जरूरत वाले कोरोना संक्रमित रोगियों की भर्ती पर रोक लगा दी है।रविवार शाम स्थिति इतनी भयावह हो गई कि ऑक्सीजन की जरूरत वाले कोरोना संक्रमित रेल कर्मियों को भी बाहर दूसरे अस्पताल में व्यवस्था करने को कहा गया। वही ऑक्सीजन की आपूर्ति अचानक कम होने पर रेलवे ने शासन के जिम्मेदार अधिकारियों से संपर्क किया है।
कोरोना से निपटने के लिए शासन ने जिस मंडल रेल अस्पताल को एल 2 श्रेणी का कोविड केअर सेंटर बनाया है।वहा भी ऑक्सीजन की किल्लत सामने आने लगी है। एक बेड पर प्रतिदिन तीन सिलिंडर की जरूरत पड़ रही है।।वही 250 में से केवल ऑक्सीजन की उपलब्धता अब 50 से भी कम हो गई है। शासन यदि इस अस्पताल को पूरी क्षमता से ऑक्सीजन की उपलब्धता कराकर उसे एल 2 श्रेणी का अस्पताल बना दे तो 134 और लोगो को ऑक्सीजन मिल सकता है। एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी के मुताबिक इस समय ऑक्सीजन की आपूर्ति को निर्बाध रूप से बहाल करने के लिए शासन से मांग की गई है।
तीन गुनी होगी रैपिड रेस्पॉन्स टीम की संख्या: कोरोना संक्रमण के बढ़ते केस को नियंत्रित करने के लिए रविवार को मंडलायुक्त रंजन कुमार ने स्मार्ट सिटी सभागार में बैठक की। इस दौरान उन्होंने कान्टेक्ट ट्रेसिंग और टेस्टिंग के लिए रैपिड रेस्पॉन्स टीम की संख्या तीन गुना बढ़ाने के निर्देश दिए। मंडलायुक्त ने मैन पावर सप्लाई के लिए पहले से नामित वेण्डर से समन्वय कर इन्हें पर्याप्त मात्रा में एण्टीजन एवं आरटीपीसीआर किट उपलब्ध कराने को कहा।इस दौरान प्रभारी जिलाधिकारी रोशन जैकब ने कहा कि कोविड अस्पतालों में बेड की उपलब्धता को सुनिश्चित कराने के लिए प्रमुख हास्पिटलो में एक एक प्रशासनिक नोडल नियुक्त किए जाएं। इससे खाली बेड की संख्या का भौतिक सत्यापन हो सकेगा और कोविड रोगियों को जल्द से जल्द उपचार मिलेगा। उन्होंने पब्लिक एड्रेस सिस्टम को कार्यान्वित कराने और जागरूक करने के लिए अभियान चलाने के लिए भी कहा। इसके साथ ही दवाओं व अन्य आवश्यक सामग्री की कमी न होने के भी निर्देश दिए।