लखनऊ में बिजली सप्लाई को लेकर फर्जीवाड़ा सामने आया है। यहां बिजली महकमा निजी संस्थानों से सरकारी दरों पर बिजली वसूल रहा है।
बिजली विभाग में एक फर्जीवाड़ा चल रहा है। फर्जीवाड़ा क्या है ये जानने के लिए पहले ये तीन केस पढ़िए।
केसः 1
घरेलू बिजली से चला रहे प्राइवेट स्कूल
दुबग्गा खंड के बादशाहखेड़ा में शीलावती के नाम से दो किलोवाट का घरेलू कनेक्शन है। इस कनेक्शन की बिजली गुरुकुल पब्लिक स्कूल में जल रही है। स्कूल संचालक 5.50 से 6.50 रुपये प्रति यूनिट के रेट से बिल जमा कर रहे, मगर स्कूल का बिल नौ रुपये प्रति यूनिट के रेट से भरना चाहिए। इससे प्रति माह न्यूनतम 1000 रुपये की चपत लग रही है।
केसः दो
चल रहा नर्सिंग होम, बिल दे रहे दुकान का
ठाकुरगंज खंड के तहत बालागंज में एक नर्सिंग होम में नौ किलोवाट का बिजली कनेक्शन है। डॉक्टर प्रतिमाह नर्सिंग होम का बिल दुकान की टैरिफ में चुका रहे हैं। यहां प्रतिमाह औसतन 1000 यूनिट बिजली जलती है और बिल 7.50 से 8.75 रुपये प्रति यूनिट हिसाब से बिल भरा जाता है, जबकि ये बिल नौ रुपये प्रति यूनिट के रेट से जमा होने चाहिए। इससे प्रतिमाह 2000 रुपये की चूना लग रहा है।
केसः तीन
5 किलोवाट पर चल रहा डिग्री कॉलेज
चिनहट के कमता इलाके में एक डिग्री कॉलेज है, जिसमें महज पांच किलोवाट का बिजली कनेक्शन है। इसका बिल भी कॉमर्शियल रेट से जमा हो रहा। इलाकाई इंजीनियरों ने एक बार भी जांच करके पता नहीं लगाया कि डिग्री कॉलेज का विद्युत लोड कितना है।
जानिए कैसे लग रही है चपत
ये केस बताने के लिए काफी हैं कि कैसे बिजली महकमा अपने ही राजस्व को चोट पहुंचा रहा है। निजी स्कूल, कोचिंग, नर्सिंग होम, ब्लड बैंक आदि के लिए विद्युत नियामक आयोग ने बिजली दरों का एक अलग टैरिफ बना रखा है, जिसे टैरिफ 4बी कहते हैं। लेकिन, निगम के अफसर-इंजीनियर टैरिफ 4बी के रेट से बिल वसूलने के बजाय कॉमर्शियल रेट से बिल बनाकर जमा करा रहे, जिससे प्रतिमाह करोड़ों रुपये की चपत लग रही है।
बता दें कि बिजली के कॉमर्शियल रेट के मुकाबले टैरिफ 4बी के रेट ज्यादा हैं। मिलीभगत यह है कि एजेंसियां प्रतिमाह एक खास मशीन से उपभोक्ताओं के बिल बनाती हैं, लेकिन वह भी शीर्ष स्तर पर इतने बड़े घालमेल की रिपोर्ट नहीं कर रहीं।
अभियंताओं को नहीं पता कितने नर्सिंग होम-निजी स्कूल
राजधानी का कोई भी अभियंता नहीं बता सका कि उसके खंड एवं उपकेंद्र इलाके में कितने निजी नर्सिंग होम, ब्लड बैंक, स्कूल, डिग्री कॉलेज व कोचिंग सेंटर हैं। लापरवाही का आलम यह कि मुख्यालय स्तर पर उपभोक्ताओं के अलग-अलग बनने वाले आंकड़े में भी इसका कहीं उल्लेख नहीं है।
जानिए, क्या है निजी संस्थाओं के लिए 4 बी टैरिफ
विद्युत नियामक आयोग ने 4बी नाम से बिजली की दरों का अलग टैरिफ बनाया है, जो निजी संस्थाओं पर लागू होता है। इसमें निजी नर्सिंग होम, ब्लड बैंक, निजी स्कूल व डिग्री कॉलेज, कोचिंग सेंटर आदि आते हैं। व्यावसायिक एवं 4बी, दोनों की बिजली दरें एवं फिक्स चार्ज अलग-अलग हैं।
कराएंगे चेकिंग, सुधारेंगे गलती
निजी संस्था में उपभोग की जाने वाली बिजली का बिल कॉमर्शियल वसूलना खंडीय इंजीनियरों की बड़ी लापरवाही है। इसके लिए मुख्य अभियंता को आदेश देंगे कि वह टीम बनाकर चेकिंग कराएं। गलती को सुधारते हुए निजी संस्थाओं से सही टैरिफ में बिल की वसूली की जाए। नियमानुसार डिफरेंस भी वसूल किया जाए। – योगेश कुमार, निदेशक (वाणिज्य) मध्यांचल विद्युत वितरण निगम, लखनऊ
एक नजर में राजधानी के निजी संस्थान
6000 प्राइमरी स्कूल
800 इंटर कॉलेज
175 डिग्री कॉलेज
500 कोचिग सेंटर
1500 नर्सिंग होम
1000 पैथॉलॉजी
उपभोक्ता एवं वसूली के आंकड़े
1.40 लाख व्यावसायिक कनेक्शन
500 करोड़ की प्रतिमाह बिल वसूली