लखनऊ मेट्रो हो रही दिक्कतों पर DM ने दिया बड़ा बयान, कहा- दो महीने में सब ठीक हो जाएगा

लखनऊ मेट्रो हो रही दिक्कतों पर DM ने दिया बड़ा बयान, कहा- दो महीने में सब ठीक हो जाएगा

मेट्रो के कॉमर्शियल रन शुरू होने के साथ ही सामने आ रहीं तकनीकी खामियों पर लखनऊ मेट्रो के एमडी कुमार केशव का कहना है कि ट्रेनों के संचालन को सामान्य करने में करीब दो महीने का समय लगेगा। इसकी वजह लखनऊ मेट्रो का पूरी तरह ऑटोमेटिक होना है।लखनऊ मेट्रो हो रही दिक्कतों पर DM ने दिया बड़ा बयान, कहा- दो महीने में सब ठीक हो जाएगा14 सितंबर से शुरू होगा बुलेट ट्रेन का प्रोजेक्ट, PM मोदी और जापान के PM अबे रखेंगे आधारशिला….

ऐसे में छोटी से छोटी तकनीकी खामी भी पता चलने पर ऑटोमेटिक ट्रेन ऑपरेटिंग सिस्टम तुरंत इमरजेंसी ब्रेक लगा देगा। ऐसे में कुछ दिनों तक दिक्कतें आएंगी। कहा कि हम पूरी कोशिश में हैं कि इन खामियों को पता कर तुरंत सही कर लिया जाए।

एमडी ने कॉमर्शियल रन शुरू होने के तीन दिन में ही दो बार तकनीकी खामी के कारण से ट्रेन को खींचकर डिपो ले जाने पर सोमवार को अपनी सफाई दी। कहा कि पूरे देश की मेट्रो के शुरुआती दिनों में ऐसे मामले सामने आए हैं। दिल्ली मेट्रो में अब भी तकनीकी खामियां सामने आती रहती हैं तो कोच्चि और चेन्नई मेट्रो में भी मिलती-जुलती दिक्कतों को रिपोर्ट किया गया है।

इस मुश्किल के पीछे हैं ये दो कारण

कुमार केशव ने बताया कि इस समस्या के पीछे दो कारण हैं। एक, यात्रियों की ट्रेन के दरवाजों से छेड़छाड़ या कोई सामान जैसे लेडीज पर्स फंस जाने से दरवाजे ठीक से बंद नहीं हो पाते। दूसरे, ट्रेन संचालन के समय सिग्नल मिलने में दिक्कत। तकनीकी खामी से दरवाजे बंद होने में परेशानी से भी मेट्रो संचालन प्रभावित होता है।

ऐसे में तकनीकी टीम और ट्रेन ऑपरेटरों को इससे निपटने के लिए कहा गया है। किसी यात्री के दौड़कर आते हुए दिखने पर ट्रेन ऑपरेटरों को मेट्रो रोके रखने को कहा गया है। इससे यात्री को जहां दरवाजे बंद होते समय चोट लगने से बचाया जा सकेगा, वहीं दरवाजों में भी तकनीकी खामी आने से रोकी जा सकेगी। टीम लगातार ट्रेनों की जांच भी कर रही है।

कमियां दूर कराने के बाद मिली ट्रेन ने दिया धोखा
कुमार केशव ने बताया कि छह सितंबर को आई खराबी की वजह दरवाजे बंद होने में दिक्कत रही थी। वहीं, आठ को ट्रेन सिग्नल रिसीव नहीं कर रही थी। इस वजह से इमरजेंसी ब्रेक लगे। इसके बाद ट्रेन को हटाकर डिपो ले जाया गया। दोनों बार एक ही ट्रेन खराब हुई थी। बताया कि यह हमारी पांचवीं ट्रेन थी जो लखनऊ मेट्रो के लगातार ट्रायल में आई कमियों को अपडेट कराने के बाद मिली थी।

पांचवीं ट्रेन और इसके बाद मिल रहे कोचों को सबसे अधिक तैयार माना जा रहा था। ऐसे में हम खुद हैरान हैं। अब पांचवीं और इसके बाद आई छठी ट्रेन की भी जांच कराई जा रही है। डिपो के अंदर टेस्ट ट्रैक पर इन्हें चलाकर देखा जा रहा है। एमडी ने अपडेट होने वाली ट्रेन में आई खामियों पर इन्हें बनाने वाली कंपनी अलस्टॉम की टीम से भी बात की है।

क्राइसिस मैनेजमेंट में टॉप मैनेजमेंट खुद जुटा
कॉमर्शियल रन के शुरुआती दिनों में ही मुश्किलें सामने आने के बाद अब लखनऊ मेट्रो का टॉप मैनेजमेंट स्टेशनों पर ट्रेनों के संचालन की निगरानी कर रहा है। खुद एमडी कुमार केशव और निदेशक रॉलिंग स्टॉक महेंद्र कुमार सुबह से रात तक निगरानी कर रहे हैं।

दोनों अधिकारी प्लेटफार्म से लेकर ट्रेनों में भी यात्रियों से मिल रहे हैं। अपने अधीनस्थ अधिकारियों पर जिम्मेदारी छोड़ने की जगह दोनों अधिकारी खुद ही क्राइसिस मैनेजमेंट में जुटे हुए हैं।

अपील, मेट्रो ट्रैक के पास पतंग न उड़ाएं
एमडी कुमार केशव का कहना है कि मेरी शहर के लोगों से अपील है कि मेट्रो ट्रैक के पास पतंग न उड़ाएं। इससे मेट्रो के ट्रैक्शन में शॉर्ट सर्कि ट होने का खतरा बना रहता है। ऐसे में ट्रेन का संचालन बाधित हो सकता है। वहीं, पतंग उड़ा रहे व्यक्ति को भी मांझे के हाईवोल्टेज बिजली वाली तारों के संपर्क में आने पर नुकसान हो सकता है।

दिल्ली में ऐसी कई घटनाएं सामने आई थीं। बताया कि लखनऊ में एक दिन मांझे की वजह से ट्रेन की बिजली आपूर्ति प्रभावित हो गई थी। इसे ठीक करने में पांच से सात मिनट का वक्त लग गया।

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