लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की वजीरगंज कोतवाली में तैनात दारोगा उमाशंकर सिंह के बेटे को विभूतिखण्ड पुलिस और साइबर क्राइम सेल की टीम ने गिरफ्तार किया। आरोपी युवक सेना का फर्जी लेफ्टिनेंट बनकर लोगों को सेना, मर्चेन्ट नेवी और अन्य सरकारी संस्थानों में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी को अंजाम देता था। आरोपी को पकड़े में अभिसूचना विभाग में अहम भूमिका अदा की।
सीओ हजरतगंज और साइबर क्राइम के नोडल अधिकारी अभय कुमार मिश्र ने बताया कि अभिसूचना मुख्यालय से इस बात के इनपूट मिले थे कि लखनऊ के विभूतिखण्ड के विनम्रखण्ड इलाके मेें रहने वाला हर्ष विक्रम सिंह नाम का एक युवक खुद को सेना में कार्यरत लेफ्टिनेंट बताकर बेरोजगारों को नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी कर रहा है।
इस सूचना के बाद साइबर क्राइम सेल और विभूतिखण्ड पुलिस ने छानबीन की तो चौकाने वाली बात सामने आयी। पुलिस को पता चला कि आरोपी हर्ष विक्रम सिंह के पिता उमाशंकर सिंह यूपी पुलिस ने दारोगा है और मौजूदा समय में वजीरगंज कोतवाली में तैनात हैं। रविवार को पुलिस टीम ने आरोपी हर्ष विक्रम सिंह को उसके घर से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने उसके से सेना के कैप्टन की दो वर्दी, मोबाइल फोन बरामद किया।
आरोपी के मोबाइल फोन मेें सेना से जुड़े कुछ फर्जी दस्तावेज भी मिले हैं। इंटेलिजेंस से जुड़े सूत्रों ने बताया कि आरोपी हर्ष ने 2015 में इंटर पास किया था। वह सेना, आईबी, रॉ जैसे संस्थानों में लोगों को नौकरी दिलाने के नाम पर अब तक 60 लाख रुपये की ठगी को अंजाम दे चुका है। सूत्र बताते हैं कि आरोपी के पकड़े जाने की खबर मिलने के बाद उसका शिकार हुए लोग पुलिस के पास पहुंचेंगे।
खुद अपनी नौकरी के लिए दे रखे हैं रुपये
इंस्पेक्टर विभूतिखण्ड में बताया कि अभी तक की गयी पूछताछ में आरोपी हर्ष ने बताया कि इंटर के बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी थी। उसने इस बात का खुलासा किया है कि उसने खुद अपनी नौकरी के लिए किसी को दो से ढाई लाख रुपये दे रखे थे। रुपये देने के बाद भी उसको नौकरी नहीं मिली। इसके बाद आरोपी खुद सेना का अधिकारी बन बैठा और लोगों से ठगी करने लगा।
मामला विभाग से जुड़े अधिकारियों ने साधी चुप्पी
दारोगा के बेटे के पकड़े जाने के मामले में पुलिस के अधिकारियों ने भी चुप्पी साध ली है। फिलहाल इस मामले में कोई अधिकारी ज्यादा कुछ बोलने के लिए राजी नहीं है। सूत्र बताते हैं कि आरोपी को इंटेलिजेंस के लोगों ने पकड़ कर हजरतगंज पुलिस के हवाले किया। इसके बाद हजरतगंज पुलिस ने उसको विभूतिखण्ड थाने भेज दिया और सारी लिखापढ़ी भी वहीं की गयी। अभी तक इस बात का पता नहीं चल सका है कि आरोपी हर्ष किसी तरह लोगों को अपने जाल में फंसा कर रुपये ऐंठता था।