लाभ के पद के मुद्दे पर सदस्यता गंवाने वाले आम आदमी पार्टी के 20 में से आठ विधायकों ने मंगलवार को हाईकोर्ट में पुन: याचिका दायर कर सदस्यता रद्द करने के निर्णय को गैर कानूनी बताया है।इन विधायकों ने चुनाव आयोग द्वारा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजी सिफारिश व इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की अधिसूचना को चुनौती दी है। इतना ही नहीं उन्होंने अदालत से चुनाव आयोग को नए सिरे से मामले की जांच करने का आदेश देने की भी मांग की है।
न्यायमूर्ति एस.रविंद्र भट्ट व न्यायमूर्ति एके चावला की खंडपीठ के समक्ष पहले आठ विधायकों की और से पेश अधिवक्ता ने याचिका दायर की। उन्होंने खंडपीठ से याचिका पर तुंरत सुनवाई का आग्रह करते हुए कहा कि यह अत्यंत महत्वपूर्ण मामला है।
विधायकों ने कहा- वे जनता द्वारा निर्वाचित सदस्य हैं
खंडपीठ ने उनके आग्रह को स्वीकार कर सुनवाई बुधवार को तय कर दी। याचिकाकर्ता नितिन त्यागी, मदनलाल, कैलाश गहलोत, शरद चौहान, सोमदत्त, राजेश ऋषि व सरिता सिंह, अलका लांबा ने तर्क रखा कि याचिका के निपटारे तक आयोग की सिफारिशों व उनकी सदस्यता रद्द करने के संबंध में जारी अधिसूचना पर रोक लगाई जाए।
उन्होंने कहा कि वे जनता द्वारा निर्वाचित सदस्य हैं। आयोग ने बदनीयती से उनका पक्ष सुने बिना ही उनकी सदस्यता रद्द करने की सिफारिश कर दी है। इससे पहले 19 जनवरी को हाईकोर्ट ने विधायकों को किसी भी तरह की अंतरिम राहत देने से इनकार किया था।
सुनवाई के दौरान ही राष्ट्रपति ने आयोग की सिफारिश पर अपनी मुहर लगा दी। केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करने के बाद याचिका आधारहीन हो गई थी। ऐसे में विधायकों ने 22 जनवरी को याचिका वापस ले ली थी। इन विधायकों ने अब नए सिरे से याचिका दायर की है।