नई दिल्ली : समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच की सियासी दूरियां बढ़ती ही जा रही है और अब यह पार्टी टूटने की कगार पर पहुंच गई है। इसके बावजूद कुछ लोग इस दल को टूटने से बचाने में लगे हैं।
इस कड़ी में राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने अखिलेश और मुलायम के बीच समझौता कराने की कोशिश। इसके लिए लालू ने खुद अखिलेश को फोन किया और उन्हें अपने पिता मुलायम सिंह यादव से सुलह करने को कहा।
ने प्रस्ताव ठुकराया
हालांकि, अखिलेश ने बड़ी विनम्रता से ‘नो थैंक्स’ कहकर कुछ ही मिनटों में उनका यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। बाद में लालू प्रसाद यादव ने मीडिया से बुधवार को कहा, ‘मैंने अखिलेश को देर रात फोन कर सलाह दी थी कि वह मुलायम सिंह यादव से सुलह कर ले, लेकिन मुझे निराशा हाथ लगी। लालू ने माना कि यदि मुलायम और अखिलेश का गुट अलग-अलग चुनाव लड़ेगा तो इससे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को ही फायदा होगा।
लालू की मजबूरियां
राजद सुप्रीमो ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यूपी चुनाव के बाद सब ठीक हो जाएगा। प्रदेश में अखिलेश की सरकार बनते ही मुलायम सिंह यादव की आदर के साथ समाजवादी पार्टी में अध्यक्ष पद पर जरूर वापसी होगी।
दरअसल, लालू की इस पहल के पीछे सियासी मजबूरियों के अलावा कुछ और कारण भी है। लालू और मुलायम आपस में रिश्तेदार भी हैं. लालू की बेटी की शादी मुलायम के पोते तेजप्रताप यादव से हुई है।
वैसे तेजप्रताप को अखिलेश का करीबी माना जाता है। वहीं, लालू प्रसाद यादव खुद को मुलायम सिंह के करीब मानते हैं। ऐसे में लालू के लिए असमंजस की स्थिति है कि वे मुलायम और अखिलेश में किनका साथ दें।
RBI का बड़ा खुलासा: 2000 के नोट को मंजूरी देते समय नोटबंदी का नहीं था प्लान
समाजवादी पार्टी के लिए अहम दिन
वैसे सपा में मचे घमासन पर कई बैठकों के बाद भी कोई तस्वीर सामने निकल कर नहीं आ पाई है। ऐसे में बुधवार (11 जनवरी) को समाजवादी पार्टी के लिए काफी अहम दिन माना जा रहा है।
माना जा रहा है कि मुलायम सिंह कुछ कड़े फैसले ले सकते है। यही वजह है कि उनके आवास के बाहर कवरेज कर रहे पत्रकारों को संदेश मिला है कि वो बुधवार को औपचारिक बातचीत करेंगे। ऐसे में सूत्रों की माने तो अंदाजा लगा जा रहा है कि सपा में आर या पार की स्थिति पर फैसला हो सकता है।