कंप्यूटर तकनीकी के विकास के साथ इसका पढ़ाई में इस्तेमाल अब आम हो चुका है। क्लास रूम में लेक्चर या किसी व्यावसायिक बैठक के दौरान लैपटॉप का इस्तेमाल एक सामान्य प्रक्रिया हो चली है। लेकिन हालिया शोध में बताते हैं कि सीखने के मकसद से क्लास रूम या बैठकों में लैपटॉप के बजाय पेन-पेपर का इस्तेमाल कहीं अधिक बेहतर विकल्प है।
इस बारे में लास एंजेल्स स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में कई प्रयोग किए गए। यहां छात्रों को लेक्चर के दौरान अचानक लैपटॉप या पेन-पेपर में से किसी एक का चयन करने को कहा गया ताकि पाठ समझने के उनके कौशल को जांचा जा सके। परीक्षण में पाया गया कि जिन छात्रों ने लैपटॉप का इस्तेमाल किया उनकी समझ पेन-पेपर का इस्तेमाल करने वालों की तुलना में खराब थी। इसमें यह भी पता चला कि पेन-पेपर का इस्तेमाल करने वालों ने लेक्चर के नोट्स छोटे और बेहतर ढंग से बनाए, जबकि लैपटॉप वालों ने बुद्धि का सही इस्तेमाल तक नहीं किया।
शोधकर्ताओं ने यॉर्क यूनिवर्सिटी और मैकमास्टर यूनिवर्सिटी में भी प्रयोगशाला में कई प्रयोग किए। इन प्रयोगों में इस बात के प्रमाण भी मिले कि जो छात्र लैपटॉप पर काम करने वाले छात्रों के नजदीक बैठते हैं उनकी काम करने की प्रतिभा पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। इसे आर्थिक रूप से नकारात्मक बहिष्कार के रूप में परिभाषित कर सकते हैं। यह तब होता है जब एक व्यक्ति की खपत दूसरों की भलाई को नुकसान पहुंचाती है। इसका कारण लैपटॉप स्क्रीन में ध्यानाकर्षण करने की जबरदस्त क्षमता है। इसमें नोट्स लेना या लेक्चर को समझना शामिल नहीं होता है।
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