बस्ती महोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि हिस्सा लेने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सुबह साढ़े 10 बजे गोरखपुर एयरपोर्ट पहुंचे। वहां उनका भाजपा नेताओं ने भव्य स्वागत किया। चारपहिया वाहन से बस्ती निकलने से पहले वह गोरखनाथ मंदिर गए। वहां उन्होंने बाबा गोरखनाथ के दरबार में हाजिरी लगाई और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के समाधि स्थल पर जाकर उनका आशीर्वाद लिया।
मंदिर में मंदिर प्रबंधन के प्रो. यूपी सिंह, डा. प्रदीप कुमार राव, प्रधान पुजारी कमलनाथ, द्वारिका तिवारी ने उनका स्वागत किया। पूजा-अर्चना के बाद लोकसभा अध्यक्ष करीब 20 मिनट गोरक्षपीठाधीश्वर के बैठक कक्ष में रहे, जहां उन्होंने प्रबंधन के लोगों से नाथ पीठ की आध्यात्मिक और सामाजिक खूबियों की चर्चा की।
प्रसाद ग्रहण करने के बाद प्रधान पुजारी कमलनाथ ने उन्हें नाथ संप्रदाय की महत्वपूर्ण किताबें भेंट कीं। इस दौरान गोरखपुर के सांसद रवि किशन, डुमरियागंज के सांसद जगदंबिका पाल, बांसगांव के सांसद कमलेश पासवान, कुशीनगर के सांसद विजय दुबे, भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश शर्मा भी मौजूद रहे। करीब आधा घंटा मंदिर परिसर में गुजारने के बाद वह बस्ती के लिए रवाना हो गए।
शहीद गौतम गुरुंग की प्रतिमा पर किया लोकार्पण
एयरपोर्ट से मंदिर पहुंचने के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला कुछ देर के लिए के लिए कूड़ाघाट तिराहे पर रुके। वहां उन्होंने तिराहे पर स्थापित शहीद गौतम गुरुंग की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी।
अंतिम व्यक्ति के कल्याण के लिए कार्य रही नाथ पीठ
मंदिर से बस्ती के लिए रवाना होने से पहले संवाददाताओं से बातचीत में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सामाजिक कल्याण को लेकर नाथ पीठ की ओर से किए जा रहे कार्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। कहा कि नाथ पीठ दुनिया को आध्यात्मिक ज्ञान और संस्कार देने का कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उन्होेंने कहा कि स्कूल, कालेज, गोशाला, अस्पताल के माध्यम से यह पीठ अंतिम व्यक्ति के कल्याण के लिए निरंतर लगी हुई है। नाथ पीठ पूरे देश में भारतीय संस्कृति और धर्म का प्रचार-प्रचार कर रही है। उन्होंने कहा कि आज गांव-गांव में मंदिर और संस्कार बचे हुए हैं, इसमें नाथ संप्रदाय का बड़ा योगदान है।
किसान आंदोलन और महंगाई को लेकर विपक्ष के हमलावर होने से संसद के संचालन में आ रही कठिनाईयों के सवाल पर लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि उनकी कोशिश होती है कि किसी भी स्थिति में संसद का सत्र सुचारु रूप से चले। सभी सदस्य अपने क्षेत्र की समस्याओं को सदन के माध्यम से सरकार तक पहुंचाएं और देश के सभी गंभीर मुद्दों पर चर्चा हो। उन्होंने कहा कि हमारे लोकतंत्र की विशेषता है कि चर्चा-संवाद, सहमति-असमति के बावजूद जब भी देशहित में कोई निर्णय लेना होता है तो इस कार्य को सभी सामूहिक रूप से करते हैं।