लोकसभा चुनावों के बीच दिल्ली में कांग्रेस और भाजपा में दूसरे स्तर की भी सियासी जंग चल रही है। बीते 17 संसदीय चुनावों में दिल्ली से लोकसभा में जितने सांसद पहुंचे हैं, उनमें से भाजपा और कांग्रेस के सांसदों की संख्या बराबर रही है। 112 लोकसभा सांसदों में से दोनों दलों के सांसदों की संख्या 54-54 है। दोनों दलों में होड़ अब एक-दूसरे से आगे निकलने की है। जिस दल के ज्यादा उम्मीदवार लोक सभा में पहुंचेंगे, उसको इस मामले में बढ़त हासिल होगी।
1952 से 2019 तक भाजपा कभी भी कांग्रेस से बराबरी नहीं कर सकी थी। 1999 के चुनाव में कांग्रेस से भाजपा मात्र दो अंक पीछे थी। उस दौरान दिल्ली में कांग्रेस के 41 व भाजपा के 39 सांसद बने थे। 2004 में भी दोनों दलों में आगे निकलने की होड़ थी, लेकिन चुनाव में कांग्रेस ने उलटफेर करके छह सीट जीत ली और आंकड़ा कांग्रेस के पक्ष में झुक गया। 2009 के चुनाव में कांग्रेस ने सातों सीटें जीतकर भाजपा को एक बार फिर काफी पीछे कर दिया था। पिछले दोनों चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस का सफाया करके सभी सीटों पर जीत हासिल की और पिछले चुनाव में भाजपा के नेताओं ने सांसद बनने के मामले में कांग्रेस की बराबरी कर ली थी।
भाजपाई पहले जनसंघ, भालोद, जनता पार्टी सेे सांसद बने थे
भाजपा का गठन होने से पहले उसके नेता जनसंघ, भारतीय लोकदल व जनता पार्टी में रहकर चुनाव लड़े थे। भाजपा के छह नेता जनसंघ और पांच नेता भारतीय लोकदल व एक नेता जनता पार्टी के टिकट पर उनके साथ समझौते के तहत चुनाव लड़ने पर सांसद बना था, वहीं 42 नेता भाजपा के सांसद बन चुके है। किसान मजदूर प्रजा पार्टी व जनता दल का एक-एक सांसद बना है। वहीं, दो सांसद भारतीय लोकदल के अपने नेता बने है।
पिछले दो लोकसभा चुनाव की तुलना में कांग्रेस इस बार भाजपा को पटखनी में देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। इस मामले में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से भी गठबंधन कर लिया है। जबकि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में उसकी राजनीतिक जमीन छीन रखी है। 2019 के चुनावों में कांग्रेस पांच सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी। जबकि आप दो सीटों पर ही रनर रही। बावजूद इसके कांग्रेस ने चार सीटें आप को देकर समझौता किया है। इसमें दोनों दलों को अपना-अपना फायदा दिख रहा है। अगर गठबंधन को कामयाबी मिलती है तो कांग्रेस का दस साल का सियासी सूखा खत्म होगा। वहीं, आप को दिल्ली से लोकसभा में खाता खुलेगा। बीते दो चुनावों में कांग्रेस और आप को भाजपा ने करारी शिकस्त दी है।