मतदान प्रतिशत बढ़ाने की चुनौती
राज्य में मतदान प्रतिशत बढ़ाना आयोग के लिए बड़ी चुनौती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड उन राज्यों में शामिल था, जिनका मतदान प्रतिशत(61.50), राष्ट्रीय औसत (67.40 प्रतिशत) से भी कम है। वहीं, उत्तराखंड की दो लोकसभा गढ़वाल व अल्मोड़ा सीटें ऐसी थी, जिनका मतदान प्रतिशत राज्य के औसत मतदान प्रतिशत से भी कम था। 2004 के चुनाव में राज्य का मतदान प्रतिशत 49.25, 2009 में 53.96, 2014 में 62.15 प्रतिशत रहा। इस बार चुनाव आयोग ने 75 प्रतिशत मतदान का लक्ष्य रखा है, जिस तक पहुंचना मुश्किल जरूर है लेकिन असंभव नहीं।
पोलिंग पार्टियों की पहुंच
राज्य में विषम भौगोलिक और मौसमी हालात हैं। ऐसे में पोलिंग पार्टियों को गंतव्य तक पहुंचाना बड़ी चुनौती है। गढ़वाल लोकसभा के अंतर्गत बदरीनाथ विधानसभा के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय डुमक पोलिंग स्टेशन तक पहुंचना सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। यहां गोपेश्वर से पहले सड़क मार्ग से 55 किमी और फिर पैदल 20 किमी की दूरी तय करनी होगी। इसी प्रकार अल्मोड़ा लोकसभा की धारचूला विधानसभा के अंतर्गत राजकीय प्राथमिक विद्यालय कनार पोलिंग स्टेशन तक पहुंचने के लिए पोलिंग पार्टियों को पहले 80 किमी पिथौरागढ़ से सड़क मार्ग से जाना होगा। इसके बाद 18 किमी पैदल दूरी तय करनी पड़ेगी। इसी प्रकार, टिहरी लोकसभा की चकराता विधानसभा के अंतर्गत राजकीय प्राथमिक विद्यालय डांगूठा की मुख्यालय से दूरी 250 किमी है जबकि राजकीय प्राथमिक विद्यालय ओसला उत्तरकाशी से 200 किमी दूर है, जिसमें चार किमी पैदल भी चलना पड़ेगा। करीब 35 पोलिंग स्टेशन ऐसे हैं, जहां के लिए पोलिंग पार्टियां चुनाव से तीन दिन पहले रवाना कर दी जाएगी। बड़ी संख्या उनक पोलिंग स्टेशन की भी है, जहां दो दिन पहले पार्टियां रवाना करनी हैं।
आयोग की परीक्षा पास करने को ये तैयारियां
चुनाव आयोग ने इस बार मतदान प्रतिशत बढ़ाने जैसे मुश्किल लक्ष्य को पार पाने के लिए कई कवायदें भी की हैं। इसके तहत जहां टर्नआउट इंप्लीमेंटेशन प्लान कमेटी का गठन किया गया है, जो हर जिले के मुख्य विकास अधिकारी की अगुवाई में एक-एक बूथ तक पहुंच बनाने की कोशिश कर रही है। इसी प्रकार, पिछले चुनाव में अपेक्षाकृत कम मतदान प्रतिशत वाले बूथों को चिह्ति करके वहां स्वीप के माध्यम से जागरुकता का विशेष अभियान चलाया जा रहा है। महिलाओं, दिव्यांगों व युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए इनके अलग-अलग मॉडल बूथ बनाए गए हैं। सर्विस मतदाताओं से शत प्रतिशत मतदान का लक्ष्य रखा गया है।