बसंत पंचमी ज्ञान और बुद्धि की देवी सरस्वती का जन्मदिन के रूप में माना जाता है। इसलिए इस दिन मां सरस्वती की पूजा होती है। इनके साथ ही कामदेव, रति और राधा कृष्ण की पूजा की भी परंपरा रही है। शास्त्रों में बसंत पंचमी को मदनोत्सव भी कहा गया है। कारण यह है कि कामदेव का एक नाम मदन भी है। मदन के आगमन से पूरी प्रकृति सुंगंध और आनंद से झूम उठती है। कामदेव के आगमन से हृदय में रंग, रोमांच और प्रेम उमड़ने लगता है। ऐसे में मनुष्य के कदम संयमित रहे इसलिए मदनोत्सव के दिन देवी सरस्वती की भी पूजा होती है।शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव ने जब कामदेव को भष्म कर दिया तो कामदेव ने अपना शरीर पाने के लिए काफी प्रयास किया। उस समय भगवान शिव ने कामदेव को स्त्री पुरुषों के अंगों के अलावा कई अन्य वस्तुओं पर वास करने का अधिकार प्रदान किया। कामदेव के सहायक के रूप में बसंत ऋतु और उनकी पत्नी रति का नाम आता है। देवताओं के आग्रह पर भगवान शिव का ध्यान भंग करने के लिए इन दोनों ने भी कामदेव की सहायता की थी। बसंत पचंमी के दिन कामदेव और रति ऋतुराज बसंत के साथ पृथ्वी पर आते हैं