संसद में सत्ता-विपक्ष के आरोपों और प्रत्यारोपों का इतिहास रहा है। इस क्रम में विपक्ष ने एक बार अटल बिहारी वाजपेयी पर भी आरोप लगाया था, जिससे वे आहत हो गए थे। उन्होंने संसद में कहा, ‘मुझ पर आरोप लगाया गया है और यह आरोप मेरे हृदय में घाव कर गया। आरोप है कि मुझे सत्ता का लोभ है और पिछले दस दिनों में मैंने जो किया वो सत्ता के लोभ के कारण किया। अभी थोड़ी देर पहले उल्लेख किया है कि पिछले 40 सालों से मैं सदन का सदस्य हूं, सदस्यों ने मेरा आचरण देखा है। जनता दल के मित्रों के साथ सत्ता में रहा हूं कभी सत्ता के लोभ से गलत काम करने के लिए तैयार नहीं हुआ।’
उन्होंने आगे कहा, ‘बार-बार इस चर्चा में एक स्वर सुनाई दिया है- वाजपेयी तो अच्छा है पार्टी ठीक नहीं है।’ उनके इतना कहने की देर थी सदन में सही है, सही है का शोर हुआ तभी उन्होंने मजाक के लहजे में कहा- तो अच्छे वाजपेयी का क्या करने का इरादा रखते हैं इस पर सदन ठहाकों से गूंज उठा था और वाजपेयी खुद भी हंस पड़े थे।वाजपेयी ने गंभीर होते हुए आगे कहा, ‘मैं नाम नहीं लेना चाहता हूं लेकिन पार्टी तोड़कर सत्ता के लिए नया गठबंधन करके अगर सत्ता हाथ में आती है तो मैं ऐसी सत्ता को चिमटे से भी छूना पसंद नहीं करूंगा। भगवान राम ने कहा था- मैं मृत्यु से नहीं डरता, अगर डरता हूं तो बदनामी से डरता हूं लोकापवाद से डरता हूं।‘