बाजपेयी सरकार ने दो दर्जन से ज्यादा धार्मिक, सामाजिक और शैक्षिक संस्थानों को जमीनें आवंटित की थीं। इनमें से अधिकतर आरएसएस से जुड़े संगठन थे।

यूपीए सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में इस आवंटन को रद्द कर दिया था। अब मोदी सरकार ने ये जमीनें इन संगठनों को वापस लौटाने का फैसला किया है।
कैबिनेट की ओर से दी गई मंजूरी की पुष्टि करते हुए शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने बताया कि इन सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों को 2001 में जमीन के प्लॉट आवंटित किए गए थे। यूपीए सरकार ने इन्हें कैंसल कर दिया, जिसकी वजह से संगठनों को इस फैसले को अदालत में चुनौती देनी पड़ी। सरकार ने कैबिनेट के फैसले को अभी सार्वजनिक नहीं किया है। आम तौर पर कैबिनेट के हर फैसले की जानकारी प्रेस स्टेटमेंट जारी करके दी जाती है।
नायडू ने कहा, ‘शासन में हमारे वापस लौटने के बाद इन संगठनों ने फैसले को लेकर विरोध जताया। इसके बाद मेरे मंत्रालय ने इस मामले की जांच के लिए दो रिटायर्ड सेक्रटरी का पैनल बनाया। पाया गया कि यूपीए की सरकार में भेदभाव हुआ। मैं इस मामले को कैबिनेट में ले गया। कुछ को छोड़कर बाकी सभी आंवटित प्लॉट्स को दोबारा से देने के फैसले को मंजूरी दे दी गई।’
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