वाराणसी: नेशनल फुटबॉल प्रतियोगिता में जीता गोल्ड मेडल

साहित्य की नगरी काशी खेल में भी नित नए कीर्तिमान रच रही है। इसी क्रम में बरेका स्थित पहाड़ी गांव की 12 वर्षीय रितू कनौजिया ने फुटबॉल के मैदान पर अपनी मेहनत और जुनून से नया इतिहास रच दिया है। आर्थिक रूप से कमजोर परिवार में पली कक्षा सात में पढ़ने वाली छात्रा रितू ने अगस्त महीने में छत्तीसगढ़ में आयोजित राष्ट्रीय फुटबाल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतकर न सिर्फ अपने परिवार का, बल्कि पूरे शहर का मान बढ़ाया है।

रितू ने बताया कि उनकी इस यात्रा की शुरुआत बड़ी बहन से मिली प्रेरणा से हुई। उनकी तीसरे नंबर की बहन सुलेखा कनौजिया पहले से ही फुटबॉल खेलती थीं। बहन को मैदान पर खेलते देख रितू का भी मन इस खेल की ओर खिंचता चला गया।

बड़ी दीदी से मिली हिम्मत
शुरुआत में संसाधनों की कमी और कठिनाइयों ने राह में बाधाएं खड़ी कीं। फुटबाल किट और जूतों के अभाव के बावजूद रितू ने हिम्मत नहीं हारी। बाद में उनके कोच भैरव दत्त ने उन्हें जरूरी किट और जूते दिलाए, जिससे उनके खेल में नई ऊर्जा आई।

रितू बताती हैं कि उनके संघर्ष भरे दिनों में सबसे बड़ा सहारा दादा मिथलाल बने। उन्होंने हर समय रितू का मनोबल बढ़ाया और हार न मानने की सलाह दी। रितू के पिता मोहनलाल पेशे से धोबी हैं। वह भी अपनी बेटी के संघर्ष पर गर्व महसूस करते हैं।

वे बताते हैं कि रितू न सिर्फ पढ़ाई और खेल में आगे है, बल्कि घर के कामों में भी हाथ बंटाती है। कपड़े धोने से लेकर मां की मदद तक, रितू हर जिम्मेदारी निभाती रही। फुटबाल की दुनिया में रितू ने महज छह साल की उम्र में कदम रखा था। पिछले छह वर्षों से वह बरेका फुटबाल नर्सरी में रोजाना तीन से चार घंटे की कड़ी मेहनत करती आ रही है।

छत्तीसगढ़ में रितू ने किया था शानदार प्रदर्शन
रितू के कोच भैरव दत्त बताते हैं कि रितू का समर्पण और अनुशासन ही उसे खास बनाता है। वह हमेशा निर्धारित समय से पहले मैदान में पहुंचकर अभ्यास करती है। उनकी मेहनत और लगन देखकर ही आगरा में आयोजित कैंप से उनका चयन उत्तर प्रदेश फुटबाल टीम के लिए हुआ।

20 अगस्त को छत्तीसगढ़ में खेले गए नेशनल मैच में रितू ने अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया। लेफ्ट आउट विंगर के रूप में खेलते हुए उन्होंने 8 गोल किए और अपनी टीम को गोल्ड मेडल दिलाने में अहम योगदान दिया। यह उनके करियर का पहला राष्ट्रीय गोल्ड मेडल है, जिसने उनके भविष्य के सपनों को और मजबूत कर दिया है।

फुटबाल के बड़े मंचों पर चमकने का देख रही सपना
कोच भैरव दत्त का कहना है कि रितू में भारतीय टीम तक पहुंचने की पूरी क्षमता है। वे कहते हैं कि जिस तरह वह खेल में मेहनत और लगन दिखाती है, वह दिन दूर नहीं जब उसका नाम भारतीय महिला फुटबाल टीम की सूची में शामिल होगा। रितू के लिए यह सफलता सिर्फ शुरुआत है। काशी की यह नन्ही बेटी अब फुटबाल के बड़े मंचों पर चमकने का सपना देख रही है।

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