भवन में आकाश तत्त्व का सही संयोजन बहुत आवश्यक होता है। बीच में चौक रखकर बनाए गए भवन आकाश तत्त्व के बेहतर समायोजन का अनुपम उदाहरण कहे जा सकते हैं। वस्तुत: आकाश तत्त्व का प्रभाव हृदय की विशालता के साथ वैचारिक संतुलन पर अधिक होता है।
भवन में आकाश तत्त्व के सही समायोजन से एक ओर जहां संबंधों में परस्पर सामंजस्य सहज रहता है वहीं व्यवसाय या परिवार में सत्ता हस्तांतरण भी बिना किसी तनाव के सहज और समय पर हो जाता है।
भवन निर्माण की आधुनिक शैली के बढ़ते प्रभाव के कारण आकाश तत्त्व के सही संयोजन के अभाव में परिवारों में आपसी तनाव, विचारों में सामंजस्य का अभाव और गुरुजनों के प्रति आदर का भाव कम देखने को मिल रहा है।
ग्रामीण व कस्बाई जीवन के भवन में जहां प्रति व्यक्ति आकाश तत्त्व की उपलब्धता अधिक है वहां आपसी सामंजस्य, संबंधों में आपसी समर्पण और व्यक्तिगत जुड़ाव भी अधिक देखने को मिलता है।
वहीं दूसरी ओर शहरी क्षेत्रों में स्थान की कम उपलब्धता के कारण कम स्थान में अधिक लोग निवास करते हैं वहां एक दूसरे से जुड़ाव, व्यक्तिगत मदद का अभाव व सामूहिकता का अभाव स्पष्ट दिखता है।