विकास पर खर्च में यूपी देश में नंबर वन, 26 राज्यों के पूंजीगत व्यय में हिस्सेदारी 16 फीसदी से ज्यादा

विकास और औद्योगिक गतिविधियों में खर्च के मामले में यूपी देश में नंबर वन है। बैंक आफ बड़ौदा की रिपोर्ट के मुताबिक 26 राज्यों के पूंजीगत व्यय में यूपी की हिस्सेदारी 16 फीसदी से ज्यादा है। इसमें शराब और तंबाकू से राजस्व का योगदान लगभग 21 फीसदी है।

विकास और बुनियादी ढांचे में सबसे ज्यादा खर्च यूपी में हो रहा है। इसकी वजह तेज औद्योगिक विकास है। इस मामले में उत्तर प्रदेश देश में पहले स्थान पर है। बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट के मुताबिक, 26 राज्यों का पूंजीगत व्यय वित्तवर्ष 2024-25 में 8.7 खरब रुपये से बढ़कर वित्तवर्ष 2025-26 में 10.2 खरब रुपये हो जाएगा। इसमें केवल पांच राज्यों की हिस्सेदारी 50 फीसदी है। खास बात ये है कि इन पांच राज्यों में भी अकेले यूपी का योगदान 16.3 फीसदी है, जो देश में किसी भी राज्य से सबसे ज्यादा है।

ये इस बात का संकेत है कि बुनियादी विकास में खर्च करने के मामले में गुजरात दूसरे स्थान ( 9.4 फीसदी), महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर (8.3 प्रतिशत), मध्य प्रदेश चौथे स्थान पर (8.1 प्रतिशत) और कर्नाटक पांचवें स्थान पर (6.7 प्रतिशत) है। वित्त वर्ष 2024-25 में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 16.9 प्रतिशत, महाराष्ट्र (10.9 प्रतिशत), गुजरात (8.1 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (7.5 प्रतिशत) और ओडिशा की 6.4 प्रतिशत थी। साफ है कि आने वाले वर्ष में भी इन्हीं पांच राज्यों में विकास की दौड़ में प्रतिस्पर्धा रहेगी।

कमाई के मामले में भी यूपी सबसे आगे
रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान वित्त वर्ष में 26 राज्यों की कुल प्राप्तियां 69.4 खरब रुपये का अनुमान है। ये धनराशि पिछले वित्त वर्ष से 10.6 प्रतिशत ज्यादा है। राजस्व प्राप्तियों में 12.3 प्रतिशत की वृद्धि और पूंजीगत प्राप्तियों में 6.6 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान बैंक ने लगाया है।

इसमें भी एक बार फिर उत्तर प्रदेश के 13.3 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ शीर्ष पर बने रहने की उम्मीद है। दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र (11.3 प्रतिशत), और मध्य प्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान 5.9 प्रतिशत के साथ काबिज हैं हैं। तमिलनाडु इस बार शीर्ष पांच में शामिल नहीं है।

राज्य आंतरिक करों पर अधिक निर्भर रहेंगे
बैंक आफ बड़ौदा की रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी राज्य आंतरिक करों पर बहुत अधिक निर्भर रहेंगे और जीएसटी स्वयं के कर राजस्व का सबसे बड़ा हिस्सा होगा। राज्यों को जीएसटी, बिक्री कर, उत्पाद शुल्क और स्टाम्प शुल्क सहित अन्य करों से 89 प्रतिशत आय का अनुमान है।

इसमें सबसे बड़ा हिस्सा जीएसटी (44.2 प्रतिशत) का होगा। नागालैंड (67.3 प्रतिशत), दिल्ली (59.7 प्रतिशत) और बिहार (57.1 प्रतिशत) जीएसटी पर सबसे अधिक निर्भर हैं, जबकि मध्य प्रदेश (38.6 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (37.4 प्रतिशत) और अरुणाचल प्रदेश (19.7 प्रतिशत) की निर्भरता कम है।

शराब और तम्बाकू पर लगने वाला राज्य उत्पाद शुल्क का योगदान 13.9 फीसदी होने का अनुमान जताया गया है। इस श्रेणी में शीर्ष तीन राज्य सिक्किम (27.3 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (24.9 प्रतिशत) और उत्तर प्रदेश (21.4 प्रतिशत) हैं।

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