अलाउद्दीन खिलजी, जिसे अली भी कहा जाता है, वह जलालुद्दीन खिलजी का भतीजा व दामाद था । अलाउद्दीन का पिता शहाबुद्दीन खिलजी बलवन की सेना का एक सैनिक था । अलाउद्दीन का जन्म सन् 1266-67 में हुआ था ।
बचपन में पिता के देहावसान के बाद उसके सैनिक चाचा जलालुद्दीन ने उसका भरण-पोषण किया । अलाउद्दीन की शिक्षा समुचित नहीं हो पायी, किन्तु उसने युद्धकला और सैनिक शिक्षा प्राप्त की थी ।1292 में उसने भेलसा पर आक्रमण किया । वहां के मन्दिर, भवन व बाजारों तथा धनवानों को निर्ममतापूर्वक लूटकर अपार सम्पत्ति लेकर लौटा, तो सुलतान ने प्रसन्न होकर उसे अरज ए मुमालिक की उपाधि प्रदान की और अवध प्रदेश भी दे दिया ।
1296 में जब अलाउद्दीन ने देवगिरि पर असाधारण विजय प्राप्त कर 6 मन सोना, 100 मन मोती, 2 मन हीरे, लाल पन्ने, नीलम, चार सहस्त्र रेशमी वस्त्र के थान, सहस्त्र मन चांदी, अनेक घोड़े व एलिचपुर प्रदेश राजा रामचन्द्र राव से सन्धि में प्राप्त किये, तो उसकी महत्त्वाकांक्षा स्वयं सुलतान बनने की बलवती हो गयी । उसने अवसर पाकर जलालुद्दीन को मौत के घाट उतार दिया था ।
अलाउद्दीन ने विद्रोह और षड्यन्त्र पर काबू पाने के लिए गुप्तचरों का जाल बिछा रखा था । अलाउद्दीन ने हिन्दुओं के प्रति बहुत ही कठोर नीति का पालन किया । हिन्दू न तो घोड़ा, न सोना, न रेशमी वस्त्र उपयोग में ला सकते थे । उनकी दशा अत्यन्त दयनीय थी । हिन्दुओं को कंगाली की दशा में मुस्लिमों के घरों में काम करके अपना गुजारा चलाना पड़ता था । वह कहता था- ”हिन्दुओं के मुंह में निकृष्ट पदार्थ डालने पर खुदा खुश हो जाता है ।”
अलाउद्दीन अत्यन्त महत्त्वाकांक्षी प्रशासक एवं सेनानायक था उसने अपनी महत्त्वाकांक्षा पूरी करने के लिए बेरहमी से लोगों का कत्ल करवाया । वह निर्दयी, हत्यारा तथा कठोर शासक था । धार्मिक दृष्टि से वह असहिष्णु था । अलाउद्दीन एक कट्टर मुस्लिम शासक था ।