भारत के घर तथा आंगन में अपनी विशिष्ट उपस्थिति दर्ज कराने वाली बुंदेलखंड की तुलसी ने अब विदेश तक अपना विस्तार कर लिया है। पानी का काफी अभाव झेलने वाले बुंदेलखंड की तुलसी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया व कनाडा में जलवा बिखेर रही है। यहां पर इसका रकबा करीब छह सौ एकड़ तक फैल चुका है।
घरों-घर पूजी जाने वाली तुलसी अब घर-आंगन में ही नहीं, यहां पर सूखे बुंदेलखंड के बेजान खेतों में भी नजर आ रही है। इससे गरीब किसानों के जीवन की बगिया महक उठी है। सूबे के महोबा जिले के आधा दर्जन गांवों का जीवन तुलसी ने बदल दिया है। सूखे की मार झेलते आए किसानों की उत्पादित तुलसी की मांग अब विदेश तक में है।
यह बदलाव डेढ़ दशक में सामने आया है। करीब 50 किसानों ने तुलसी के उत्पादन की शुरुआत की थी। अब इलाके के अनेक किसान तुलसी उगा रहे हैं। पत्ती से लेकर बीज और डंठल तक, सब कुछ बिक रहा है। महोबा में तुलसी की खेती की शुरुआत डॉ. विश्वभान ने की थी। पहले वह इसकी पत्ती, डंठल और बीज स्वयं दूसरे शहरों में बेचने जाते थे। धीरे-धीरे अन्य किसान भी तुलसी की खेती करने लगे। दादरी के किसान ध्वजपाल सिंह ने करीब 13 वर्ष पहले खेतों में तुलसी का बीज तैयार किया था। तब पांच एकड़ में पौध लगाई थी। अब बड़े पैमाने पर तुलसी का उत्पादन कर रहे हैं। चरखारी, नौगांव, सिजहरी, शाहपहाड़ी और ब्यारजो जैसे गांवों में भी किसानों ने तुलसी की खेती को अपनाया है।
यहां उत्पादित तुलसी के बीज, डंठल और पत्ती जैसे उत्पादों को विदेशी बाजार भी मिल गया है। आर्गेनिक इंडिया के सहयोग से थोक व्यापारी और संस्थाएं सीधे खेतों से माल उठाने लगे हैं। इनके जरिये देश के बड़े शहरों के साथ ही अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया और जापान जैसे देशों में इन उत्पादों को भेजा जा रहा है। कनाडा व अमेरिका में दादरी टी ब्रांड के नाम से तुलसी चाय बिक रही है।
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