शख्स से शख्सियत में तब्दील होने तक का सफर इतना आसान नहीं होता जितना वो मुकम्मल किये जाने पर प्रतीत होता है. आज देश की महानतम विभूतियों में शुमार सचिन तेंदुलकर का जन्मदिवस है. क्रिकेट का यह बुलंद सितारा कितना चमकीला है, शायद बताने की जरुरत नहीं है. खेल के मैदान में बनाये गए उनके रिकॉर्ड का जिक्र इतनी बार किया जा चूका है कि हर खेल प्रेमी की जुबां पर सिर्फ सचिन का नाम आते ही, भारतीय क्रिकेट का सबसे स्वर्णिम दौर आँखों के आगे तैरने लगता है. वो आलम जब एक खिलाड़ी के आउट हो जाने पर टेलीविजन बंद कर दिए जाते थे. देश का हर चौराहा सचिन के बल्ले की नोक से थम जाया करता था.
महज सोलह बरस का घुंघराले बाल वाला ये खिलाड़ी जब पाकिस्तान के महान गेंदबाजों के सामने पहली बार उतरा तो उसे बच्चा समझ कर मैदान से चले जाने तक के लिए कह दिया गया. मगर मगरूर को महानता का सुबूत उस पहली ही पारी ने दे दिया था. फिर शुरू हुआ एक यादगार सफर और इस सफर में सचिन अगले 24 साल तक 22 गज की पट्टी के शहंशाह बने रहे . दुनिया ने उसे क्रिकेट का भगवान, मास्टर ब्लास्टर जैसे नामों से नवाज़ा. सचिन के बारे में जितना लिखा गया कम है. एक और पहलु है जिसपर चर्चा सामयिक है. सचिन एक महान खिलाड़ी के आलावा एक बेहतरीन इंसान भी है. वे सदा से सामाजिक कार्यो और चैरिटी वर्क में शामिल रहे है. वे एक अच्छे पुत्र, अच्छे शागिर्द, अच्छे भाई, अच्छे पति और पिता भी साबित हुए .
जीवन के हर दौर में उन्होंने पारिवारिक और सामाजिक मूल्यों के साथ सामंजस्य बैठा कर ये सफलता हासिल की है. सचिन की एक और ताकत है उनकी सादगी और सरलता. भारत रत्न सचिन किसी से भी इतनी सहजता से मिलते है कि हर कोई उनके इस गुण का दीवाना है. सचिन कि कई खुबिया है जो उन्हें खेल के आलावा भी एक बेहतर इंसान के रूप में पेश करती है. सख्त बॉल के खिलाफ बॉलर्स के जहन का खौफ बन चूका ये खिलाड़ी असल में एक बेहद कोमल दिल का मालिक है. जो हर भारतीय के दिल की धड़कन में सचिन,,,,,,,,,, सचिन के नाम से धड़कता रहेगा.
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