पृथ्वी एक बहुत व्यापक शब्द है, इसमें जल, हरियाली, वन्यप्राणी, प्रदूषण और इससे जु़ड़े अन्य कारक भी शामिल हैं .पृथ्वी पर जीवन इन सभी कारको के बिना संभव नहीं है और न ही इनके बिना जीवन की कल्पना की जा सकती है. आज अर्थ दिवस को मनाना केवल औरचारिकता बन चुका है, जिसका बुरा प्रभाव कहीं न कहीं हमारे जीवन को ही प्रभावित करेगा. आप सभी ने यह तो जरूर पढ़ा होगा की पृथ्वी हमे जो देती है उसके फलस्वरुप हमें भी उसकी रक्षा करनी पड़ती है . अगर हम केवल उससे लेते ही रहेंगे तो एक दिन पृथ्वी का अमूल्य भंडार समाप्त हो जायेगा और मानव जीवन पर संकट आ जायेगा .
दुनिया भर में हर साल 22 अप्रैल को मनाया जाने वाला पृथ्वी दिवस अब महज औपचारिकता से ज्यादा कुछ नहीं बचा . पर क्या आप जानते है इस चेतना की शुरुआत कहाँ से हुई और किसने की.दरअसल 1969 में सांता बारबरा, कैलिफोर्निया में तेल रिसाव के कारण हुई भारी बर्बादी को देखने के बाद अमेरिकी सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन ने इसकी शुरूआत की थी. उन्होंने इस उद्देश्य की पूर्णता के लिए वहां के स्कूल और कॉलेजों के युवा छात्रों को इसमें शामिल कर इसे एक विश्वव्यापी आंदोलन का रूप दिया जिसके फलस्वरूप विश्व में पृथ्वी की रक्षा को लेकर कई कदम भी उठाये गए. आज इसे 192 से अधिक देशों में प्रति वर्ष मनाया जाता है. यह तारीख उत्तरी गोलार्द्ध में वसंत और दक्षिणी गोलार्द्ध में शरद का मौसम है.
इस साल यानी 2018 पृथ्वी दिवस का थीम है प्लास्टिक प्रदूषण की समाप्ति.पृथ्वी को पर्यावरणमुक्त बनाने के लिए हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते, तो कम से कम इतना तो करें कि पॉलिथीन के उपयोग को नकारें, कागज का इस्तेमाल कम करें और रिसाइकल प्रक्रिया को बढ़ावा दें क्योंकि जितनी ज्यादा खराब सामग्री रिसाइकल होगी, उतना ही पृथ्वी का कचरा कम होगा.
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