 
इतना ही नहीं विश्वविद्यालय के हर द्वार पर छात्रों को प्रवेश से रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए। विश्वविद्यालय प्रशासन की सख्ती के चलते पूरे साल छात्रों की चहलकदमी गुलजार रहने वाले विश्वविद्यालय परिसर में सन्नाटा पसरा रहा।
प्रशासन भले ही शिवरात्रि की छुट्टी की आड़ लेकर इसे सामान्य कार्रवाई बताने में जुटा हो, लेकिन छात्रों का कहना है कि साल के अन्य अवकाशों में भी परिसर में प्रवेश पर इस तरह पाबंदी नहीं लगाई जाती।
बता दें कि शनिवार को जारी एक नोटिस में प्रॉक्टर विनोद सिंह ने कहा था कि पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित होकर समाज के कतिपय नवयुवक 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे के रूप में मनाते हैं।
सभी छात्र-छात्राओं को सूचित किया जाता है कि 14 फरवरी को महाशिवरात्रि के अवसर पर अवकाश है। इसलिए वे इस दिन विवि परिसर में दिखाई न दें। यदि कोई परिसर में बैठा पाया गया तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
इतना ही नहीं उन्होंने अभिभावकों से भी अपने बच्चों को विश्वविद्यालय न भेजने की अपील की थी।
प्रॉक्टर के इस तुगलकी फरमान पर हंगामा होने के बाद मंगलवार को कुलपति प्रो एसपी सिंह ने सफाई देते हुए कहा था कि प्रॉक्टर ने अति-उत्साह में पत्र में अनावश्यक रूप से वेलेंटाइन-डे को पाश्चात्य सभ्यता का प्रतीक बता दिया था।
14 फरवरी को महाशिवरात्रि का अवकाश है। इसलिए उस दिन विद्यार्थियों की सभी कक्षाएं स्थगित करके उन्हें परिसर न आने का निर्देश दिया गया है। इस पत्र में अनावश्यक रूप से वेलेंटाइन-डे का जिक्र है। इसलिए प्रॉक्टर ने गलती सुधारते हुए अनुशासन कायम रखने के लिए नया निर्देश भी जारी कर दिया है।
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