अगर आप घोड़े की सवारी के शौकीन हैं तो जरा संभलकर। ऊंची कद काठी वाला घोड़ा कहीं संक्रमित ग्लैंडर्स बीमारी से पीड़ित तो नहीं है। अगर ऐसा है तो वह आपको बुर्क होल्डरिया मल्ली नामक संक्रमित वैक्टीरिया से पीड़ित कर आपकी सेहत बिगाड़ सकता है।श्री माता वैष्णो देवी और अमरनाथ यात्रा के दौरान लाखों यात्री घोड़े और खचरों से यात्रा करते हैं, लेकिन वे इससे अंजान होते हैं कि जिस पर वह बैठे हैं, वह संक्रमण से मुक्त है कि नहीं।उधमपुर में दो घोड़ों के ग्लैंडर्स बीमारी से पाजिटिव आने पर उनके संपर्क में आने वाले सात लोगों के खून के सैंपल जांच के लिए हिसार, हरियाणा लेबोरेटरी में भेजे गए हैं।स्वास्थ्य निदेशालय की ओर से पहली बार ऐसे मामलों में पीड़ित जानवर के संपर्क में रहने वालों के सैंपल लिए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के एपिडामिनिलिजिस्ट डॉ. जेपी सिंह ने बताया कि उधमपुर के मियां बाग और खलेर गांव में दो घोड़े ग्लैंडर्स बीमारी से पाजिटिव आए हैं।
दोनों मामलों में घोड़े के संपर्क में रहने वाले क्रमश: दो और पांच लोगों के खून के सैंपल लिए गए हैं। इनमें पांच की रिपोर्ट नेगेटिव आई है और बाकी का इंतजार है। कटड़ा में वैष्णो देवी की यात्रा में सैकड़ों घोड़ों की सेवाएं ली जा रही हैं।
श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की ओर से यात्रा ट्रैक पर चलने वाले घोड़े आदि जानवरों के स्वास्थ्य जांच के लिए कई प्रबंध किए गए हैं।
घोड़ों की नियमित जांच जरूरी
जिला उधमपुर और अन्य पहाड़ी इलाकों में भी खासतौर पर घोड़ों की आम जीवनचर्या में अहम भूमिका रहती है, लेकिन घोड़ों के नियमित स्वास्थ्य जांच नहीं कराने से उनमें ग्लैंडर्स वैक्टीरिया पनप जाता है। ग्लैंडर्स को इक्विनिया, फार्सी और मैलेस के नाम से भी जाना जाता है।
सहारनपुर से पहुंचा संक्रमण
राज्य में घोड़ों में संक्रमित ग्लैंडर्स बीमारी यूपी के सहारनपुर इलाके से पहुंची। विभागीय सूत्रों के अनुसार अवैध ढंग से सहारनपुर की जानवरों की मंडी से बीमार घोड़े लेकर राज्य में बेचे जा रहे हैं। यह घोड़े खासतौर पर धार्मिक यात्राओं में इस्तेमाल किए जाते हैं।
घोड़ों में यह संक्रमण एक ही स्थल से कई जानवरों का साथ खाने, पानी पीने, साफ सफाई न होने से फैलता है। संक्रमित घोड़े की नाक बहती है और उसके शरीर पर रसोली की तरह पस निकलने लगती है। यह संक्रमण उसके संपर्क में आने वाले अन्य जानवरों और इंसानों में भी फैल जाता है।
धार्मिक यात्राओं में हजारों घोड़ों की स्क्रीनिंग करना मुश्किल रहता है। जिससे ऐसे संक्रमित घोड़े भी चलते हैं। घोड़े और इंसान के शरीर में ग्लैंडर्स संक्रमण फैलने से उसका इलाज करना मुश्किल हो जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी ग्लैंडर्स बीमारी को गंभीर घोषित किया है।
बचाव
-घोड़ों की नियमित स्वास्थ्य जांच करवाएं
– अचानक सेहत के बिगड़ने पर डाक्टर की सलाह लें
– संक्रमित होने पर दूसरों के बीच जाने से परहेज करें