वोडाफोन-आइडिया के प्रस्तावित मर्जर से टेलिकॉम इंडस्ट्री में 25 हजार लोगों की नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। इस मर्जर के बाद आइडिया सबसे बड़ी कंपनी हो जाएगी, लेकिन वोडाफोन के कर्मचारियों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ने की संभावना है।
एक अनुमान के मुताबिक, सबसे ज्यादा चोट उन कर्मियों के ऊपर पड़ेगी जो सेल्स और डिस्ट्रीब्यूशन में हैं।
22 फीसदी लागत आती है सेल्स और डिस्ट्रीब्यूशन में
इकनॉमिक टाइम्स के अनुसार, कंपनियों को जो रेवन्यू होती है उसमें 22 फीसदी लागत सेल्स और डिस्ट्रीब्यूशन में आती है। टेलिकॉम सेक्टर की सालाना आमदनी 1.3 लाख करोड़ रुपये होने का इस वित्त वर्ष में अनुमान है।
इस कमाई में कंपनियों को स्टाफ पर 35 हजार करोड़ रुपये खर्च करना पड़ता है। टेलिकॉम एक्सपर्ट के मुताबिक छोटे सर्किल ऑफिसों में काम करने वालों पर छंटनी की तलवार सबसे ज्यादा लटकी हुई है।
हालांकि हेड ऑफिस में काम करने वालों की नौकरी नहीं जाएगी, ऐसा उन्होने अनुमान लगाया है। भारतीय टेलिकॉम इंडस्ट्री से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से 3 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
एयरसेल-रिलायंस का सौदा
एक्सपर्ट के मुताबिक वोडा-आइडिया के बाद एयरसेल- रिलायंस इंफोकॉम का भी मर्जर होना है। हालांकि इस सौदे पर अभी बादल हैं क्योंकि कोर्ट में मुकदमा चलने के कारण अभी इस पर तलवार लटकी हुई है।
रूस की एमटीएस का आरकॉम में मर्जर हो चुका है, जबकि नॉर्वे की टेलिनॉर या तो आरकॉम-एयरसेल के साथ मिलेगी या उसे एयरटेल खरीदेगा।
इनकी नौकरियों पर भी पड़ेगा असर
वोडाफोन-आइडिया के मर्जर से इन दोनों कंपनियों के कर्मचारियों के अलावा कांट्रैक्ट पर काम करने वाले लोगों पर भी इसका असर पड़ेगा। इनमें डायरेक्ट सेलिंग एजेंट (डीएसए), बीपीओ और नेटवर्क को देखने वाले कर्मचारी भी शामिल हैं।
सेंट्रल और सर्विस एरिया लेवल पर सर्किल चीफ, एचआर और फाइनेंस टीम में छंटनी हो सकती है क्योंकि मर्जर के बाद कंपनियां एक ही काम के लिए दो लोगों को नहीं रखेंगी।