व्हाट्सएप्प आधुनिक दौर का सबसे वाहियात खोज है. ये कोई कहे न कहे मै कह रहा हूं. हर पल परेशान रहना पड़ता है. किसी को कोई काम हो न हो, लेकिन व्हाट्सएप्प खोले बैठा रहता है, बिमारी सी लगा दी है ससुरा सबको. कोई न मिले गपियाने वाला तो फ़ालतू का ग्रुप बना दो, दिन भर शाकाहारी, मान्शाहारी मैसेज का भोग लगता रहेगा. जब देखो फोनवा टून टून करता है. दिमाग खिसियाने लगता है. ऐसा लगता है, ससुरा फ़ोन उठा के किसी के सर पर दे मारे. लेकिन क्या करोगे मज़बूरी है, अपना भी तो काम होता है थोडा बहुत. ग्रुप लेफ्ट कर दो, तो दोस्ती टूटने का डर सताता है करे तो करे क्या..चुप चाप म्यूट बटन दवा के खून के घूंट पीते हैं.
लेकिन अब जो हुआ है ई सबसे घटिया है, व्हाट्सएप्प वालों ने आज तक का सबसे घटिया फीचर निकाल दिया है. टैगिंग का. हां सही पढ़े, जैसे फेसबुक पर किसी के नाम के आगे @ लगा के टैग कर देते थे, वैसे ही अब व्हाट्सएप्प के कौनो ग्रुप में उसी इंसान को टैग कर दो जिसको दिल करे. बस वो इंसान उस ग्रुप का मेम्बर होना चाहिए. करना बस इतना है की @ लगाओ और उसका नाम लिख दो. फिर चाहे बेचारे ने, कन्वर्सेशन म्यूट क्यों न कर रखा हो, तुरंत टून टूनाता हुआ नोटीफिकेशन उसके मोबाइल पर चला जाएगा. मूड झल्ला जाएगा. फिर चाहे उ कौनो मीटिंग में हो, या गर्लफ्रेंड के साथ सेटिंग में. लेकिन क्या करोगे उपाय नहीं है कुछ, जिसकी कंपनी में काम करते हो, उसकी मनमानी सहते हो की नहीं? बस वही बात है, ऐसा व्हाट्सएप्प पसंद नहीं है तो जाओ अपना व्हाट्सएप्प बना लो..