कद्दावर वरिष्ठ सांसद शरद यादव के तेवर लगातार बागी हुए हैं। वह जद(यू) में बने रहकर नीतिश कुमार द्वारा तय किए गठबंधन धर्म का पालन नहीं कर रहे हैं। उनके इस मिजाज के ,साथ पार्टी में कड़वाहट का दौर शुरू हो गया है।
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शरद यादव के बेहद करीबी समझे जाने वाले पार्टी के नेता अरुण कुमार को मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने झटका दे दिया है। नीतिश के निर्देश पर पार्टी के महासचिव केसी त्यागी ने अरुण कुमार को महासचिव के पद से हटा दिया है।
केसी त्यागी ने पत्र लिखकर इसकी सूचना अरुण कुमार को दी है। त्यागी ने पत्र लिखकर कहा कि आपको पार्टी के अध्यक्ष नीतिश कुमार के आदेश पर महासचिव के पद से मुक्त किया जाता है। अरुण कुमार पार्टी के गुजरात प्रभारी थे।
उन्होंने राज्यसभा चुनाव के बाबत गुजरात के चुनाव पीठासीन अधिकारी को पत्र लिखकर पार्टी का एजेंट नियुक्त किए जाने की मांग की थी। हालांकि इसे नीतिश कुमार द्वारा शरद यादव को संकेत देने के तौर पर देखा जा रहा है। नीतिश कुमार जद(यू) अपना वर्चस्व दिखाना चाह रहे हैं।
क्या नीतिश की परेशानी
पार्टी के अंदरखाने के सूत्र बताते हैं कि जद(यू) के तमाम नेताओं को महागठबंधन से नाता तोडऩा तथा भाजपा से हाथ मिलाना पच नहीं रहा है। शरद यादव ऐसे नेताओं का लगातार केन्द्र बने हैं। मंगलवार को भी शरद यादव के तेवर विपक्ष का साथ देने वाले थे।
उन्होंने कांग्रेस के नेता कपिल सिब्बल द्वारा 500 के नोट वाले मुद्दे पर खुलकर विपक्ष का साथ दिया। उन्होंने राज्यसभा में कहा कि यह कोई छोटा मामला नहीं है। किसी भी देश में इस तरह की करेंसी के साथ गड़बड़ी नहीं होती। एक ही नोट छोटे-बड़े आकार के नहीं छापे जाते।
उन्होंने कहा कि इसका सरकार को जवाब देना होगा। खास बात यह भी रही कि शरद यादव की सीट नहीं बदली। वह विपक्ष के नेताओं की अगली पंक्ति में प्रो. राम गोपाल यादव के बगल ही बैठे दिखाई दिए।
इस तरह से शरद यादव ने जहां अपने रुख पर जद(यू) में रहकर अडऩे का संकेत दे दिया है, वहीं नीतिश कुमार ने अरुण कुमार पर कार्रवाई करके उन्हें अपने तेवर से अवगत कराया है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में अभी कड़वाहट और बढ़ सकती है।
एनडीए के साथ पहले के गठबंधन की सरकार और बिहार की राजनीति में जद(यू) का भाजपा का वर्चस्व रहता था। दूसरी पारी में हालात बदल गए हैं। अब भाजपा का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है। दूसरे पूरे बिहार में लोग नीतिश कुमार को विकास पुरुष तो मानते हैं लेकिन महागठबंधन का टूटना उनके पार्टी के नेताओं, कार्यकर्ताओं को हजम नहीं हो रहा है।
बिहार प्रदेश भाजपा के एक बड़े नेता ने एक जद(यू) के नेता के सामने तंज कसा कि विभीषण राम भक्त थे, लेकिन कहे कुलद्रोही जाते हैं तो जद(यू) के नेता का चेहरा देखने लायक था। बताते हैं पार्टी के भीतर इसी तरह के तंज चल रहे हैं। ऐसे में नीतिश अब अपना तेवर सख्त रखना चाहते हैं।
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