इटावा: उत्तर प्रदेश के इटावा में सरकारी दावों की पोल खोलने वाली एक घटना घटी। इटावा के जिला अस्पताल में एक युवक की मौत के बाद जब उसके पिता को शव ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली तो बाप को बेटे का शव कंधे पर ले जाना पड़ा।
इटावा के विक्रमपुर का उदयवीर अपने बेटे पुष्पेंद्र का इलाज कराने के लिए जिला अस्पताल पहुंचा था। उसका आरोप है कि अस्पताल में डॉक्टरों ने उसके बेटे का इलाज नहीं किया जिससे उसकी मौत हो गयी। उदयवीर का कहना है कि वह दो बार अपने बेटे को अस्पताल लेकर आया था लेकिन डॉक्टर इलाज से टालते रहे। बेटे के पैरों में दर्द था डॉक्टरों ने उसे बिना देखे ही मृत घोषित कर दिया और उसे अस्पताल से ले जाने के लिए कह दिया।
उसके बाद वह बेटे के शव को कंधे पर रखकर अस्पताल परिसर से बाहर निकल आया और एम्बुलेंस व शव वाहन के लिए चिल्लाता रहा लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी। उदयवीर का गांव अस्पताल से सात किलोमीटर दूर था लेकिन बेटे को कंधे पर लाद कर वह गांव के लिए चल पड़ा। इसके बाद एक व्यक्ति की मदद से वह बाइक से शव लेकर गांव गए। अब सीएमओ डॉ राजीव कुमार यादव का कहना है कि दोषी डॉक्टर के खिलाफ क ार्रवाई की जाएगी। सीएमएस डॉ अशोक पालीवाल का कहना है कि डॉक्टर ने बच्चे को देखा था वह पहले ही मर चुका था। इसके बाद पिता उसको लेकर चला गया उसने किसी से एम्बुलेंस या शव वाहन के लिए नहीं कहा।