वहीं शहीद जवान के रिश्तेदार मुरारी लाल ने महबूबा सरकार पर जमकर अपना गुस्सा निकाला। सीमा पर अपने बेटे को खो चुके मुरारी ने कहा कि यहां सिर्फ सियासत हो रही है। यहां पर पत्थर मारने वालों को नौकरी और घर दिया जा रहा है।
जबकि सीमा पर देश के लिए शहीद होने वाले बच्चों के लिए सरकार के पास समय नहीं है। गौरतलब है कि पांच फरवरी को पाकिस्तान की ओर से राजौरी के भिंबर और मंजाकोट सेक्टर में सीजफायर का उल्लंघन करके ताबड़तोड़ गोलीबारी की गई थी।
शहीदों की पहचान 15 जेकलाई के लेफ्टिनेंट कपिल कंडू (गांव-रनिसका, तहसील-पटौदी, जिला-गुड़गांव), रायफल मैन राम अवतार (गांव-बराका, ग्वालियर), रायफलमैन शुभम सिंह (गांव-मुकुंदपुर चौधरियां, तहसील-मढ़ीन, कठुआ) और हवलदार रोशन लाल (गांव-निकोलस, तहसील-घगवाल, जिला-सांबा) के रूप में हुई है। इसके अलावा एक लांस नायक इकबाल अहमद घायल भी हुए थे। बताया जा रहा है कि शहीद व घायल सभी सेना की बारूद पोस्ट पर तैनात थे।
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