लखनऊ ,22 अक्टूबर । हर साल की तरह 21 अक्टूबर को देश भर में शहीद हुए पुलिस कर्मियों की याद में स्मृति दिवस मनाया गया। शुक्रवार की सुबह राजधानी की पुलिस लाइन में भी शहीदों की याद में स्मृति दिवस का आयोजन किया गया। इस मौके पर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। सीएम ने शहीद पुलिस कर्मियों के माता-पिता को 5 लाख रुपये आर्थिक मदद की घोषण की है। सरकार पहले सही शहीद पुलिस कर्मियों के परिवार को 20 लाख की आर्थिक मदद दे रही है। इस तरह यह धनराशि 20 से बढ़कर अब 25 लाख हो गयी है।
राजधानी के पुलिस लाइन ग्राउण्ड में शुक्रवार की सुबह 8 बजे शुरू हुए इस कार्यक्रम में सबसे पहले परेड फॉल इन हुई। एसएसपी लखनऊ मंजिल सैनी व एएसपी रोहित सहजवान ने परेड की कमान संभाली। 8.20 पर डीजीपी जाविद अहमद पुलिस लाइन पहुंचे। उन्होंने परेड की सलामी ली। डीजीपी के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव वहां पहुंचे। सीएम ने भी परेड की सलामी ली। इसके बाद शहीदों के नाम लिखी हुई शहीद पुस्तिका को सीएम का दिया गया। डीजीपी ने शहीदों को श्रद्घांजलि देते हुए प्रदेश में इस वर्ष शहीद हुए सभी पुलिस कर्मियों के नाम पढ़े। इसके बाद शहीद पुस्तिका को पीएसी के उपसेना नायक जटशंकर को वापस किया गया। वह शहीद पुस्तिका को शहीद स्मारक लेकर पहुंचे। इसके बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव वहां बने शहीद स्मारक पहुंचे और शहीदों को याद करते हुए पुष्पचक्र अर्पित किये। सीएम के बाद कैबिनट मंत्री अहमद हसन, रवि दास मल्होत्रा, राजेन्द्र चौधरी, सहित अन्य अधिकारियों ने भी शहीदा को पुष्प चढ़ाते हुए उनके बलिदान को याद किया। इसके बाद शहीदों की याद में अंतिम धुन बजायी गयी। सीएम ने शहीद हुए पुलिस वालों के कुछ परिवार वालों से मुलाकात की और शाल व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। सीएम ने इस दौरान शहीद हुए पुलिस कर्मियों के परिवार को हर सभंव मदद देने का आश्वासन दिया। अंत में मुख्यमंत्री ने शहीद पुलिस कर्मियों के माता-पिता को 5 लाख की आर्थिक मदद की भी घोषण की। उन्होंने बताया कि अभी तक सरकार शहीद पुलिस कर्मियों के परिवार को 20 लाख रुपये की आर्थिक मदद देती थी। अब इन 20 लाख के अलावा भी माता-पिता को 5 लाख रुपये अलग से आर्थिक मदद दी जायेगी। इस कार्यक्रम में सीएम के अलावा, कैबिनट मंत्री अहमद हसन, रवि दास मल्होत्रा, राजेन्द्र चौधरी, पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह, एडीजी कानून-व्यवस्था दलजीत चौधरी, एडीजी पीएसी सुभाष चंद्रा, आईजी जोन लखनऊ ए.सतीश गणेश, आईजी इंटेलीजेंस आरके चतुर्वेदी, आईजी डीके ठाकुर, आईजी अरूण कुमार गुप्ता, डीआईजी रेंज आरके एस राठौर, डीआईजी पीएसी प्रीवण कुमार, डीके चौधरी, एसएसपी एसटीएफ अमित पाठक सहित प्रदेश व राजधानी के कई अधिकारी मौजूद रहे।
पहली बार महिला आईपीएस ने संभाली परेड की कमान
हर साल मनाये जाने वाले स्मृति दिवस के मौके पर परेड की कमान पुरूष आईपीएस अधिकारी के हाथ में होती है। हमेशा लखनऊ का एसएसपी ही परेड की कमान संभालता है। यह पहली बार है जब किसी लेडी आईपीएस अधिकारी ने परेड की कमान संभाली। इस बार लखनऊ एसएसपी का पद लेडी सिंघम मंजिल सैनी के पास था। उन्होंने परेड कमांडर की जिम्मेदारी उठाते हुए उसको बखूबी निभाया।
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सीएम को सुनने की आस पुलिस वालों के दिल में रह गयी
बिना उद्बोधन के ही मुख्यमंत्री चले गये स्मृति दिवस के मौके पर मुख्य अतिथि यानि मुख्ममंत्री की बात सुनने के लिए सैकड़ों की संख्या में पुलिस वाले उत्सुक रहते हैं। इस मौके पर मुख्यमंत्री पुलिस वालों को सरकार की प्राथमिकता बताते हैं और कुछ घोषण करते हैं। कई साल से स्मृति दिवस के मौके पर कोई घोषण नहीं की जा रही थी, पर मुख्यमंत्री पुलिस वालों से मुखातिब जरुर होते थे, पर इस बारे ऐसा नहीं हुआ। मुख्यमंत्री ने शहीद स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित करने के बाद शहीदों के परिवार से मुलाकात की और मीडिया से रूबरू होने के बाद वहां से चले गये।
यूपी में सबसे अधिक 116 पुलिस वाले इस साल हुए शहीद
पूरे देश में इस बार 479 पुलिसवाले शहीद हुए डीजीपी जाविद अहमद ने बताया कि 1 सितम्बर से लेकर 31 अगस्त 2016 के बीच यूपी मेें 116 पुसिल वाले शहीद हुए है। वहीं पूरे भारत में शहीद पुलिस कर्मियों की संख्या 479 है।
आंध्रप्रदेश में शहीद हुए पु लिस वालों की संख्या इस बार 14 है। वहीं अण्डमान एण्ड निकोबार में 2, अरूणाचल प्रदेश में 1, आसाम में 8, बिहार में 6, छत्तीसगढ़ में 19, दिल्ली में 17, गुजरात में 3, हरियाणा में 1, हिमांचल प्रदेश में 5, जम्मू कश्मीर मेें 23, झारखण्ड में 6, कर्नाटक में 22, केरल में 2, मध्य प्रदेश में 5, महाराष्टï्र में 5, मेघालय में 4, नागालैण्ड में 2, पंजाब में 1, राजस्थान में 1, तमिलनाडु में 1, तेलंगाना में 1, उत्तराखण्ड में 10, पश्चिम बंगाल में 23 है। इसके अलावा इस साल बीएसएफ के 55, सीआईएसएफ के 9, सिविल डीफेंस के 2, सीआरपीएफ के 41, आईटीबीपी के 7, एमएचए के 1, एनडीआरएफ के 5, एनआईए के 1, एनएसजी के 1, आरपीएफ के 15, एसपीजी के 5, एसएसबी के 39 जवानों को शहादत का दर्जा मिला।
इस लिए पूरे देश में मनाया जाता है स्मृति दिवस
स्मृति दिवस का इतिहास 57 साल पुराना है। 21 अक्टूबर 1959 को लद्दाख की उत्तरी सीमा पर चीनी सेना ने धोखे से कन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल पर हमला कर दिया था। इस हमले में सीआरपी के 10 जवान सीनी सेना के लड़ते हुए शहीद हो गये थे। बस इसी के बाद से हर साल पूरे देश में 21 अक्टूबर को स्मृति दिवस मनाया जाता है।