इस बार महाशिवरात्रि 11मार्च को विशेष संयोग में मनाई जावेगी इसी दिन शिव और शक्ति का मिलन हुआ था अबकी बार बेहद खास योग बन रहा है इस दिन घनिस्ता नक्षत्र वा शिव योग के साथ ही चंद्रमा मकर राशि का संयोग बन रहा है। इसी दिन हरिद्वार कुंभ में प्रथम शाही स्नान होगा। यह योग कई बरसों बाद आया है। महाशिवरात्रि कुंभ के साथ पड़ रही है, इसलिए इस वर्ष महा शिव रात्रि का विशेष महत्व रहेगा। हर राशि वालों के लिए अलग अलग मंत्रों, विधि से पूजा करने का विधान है जिससे मनोकुल फल की प्राप्ति होती है।पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि का पर्व इस वर्ष 11 मार्च को फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की तिथि को मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि पर इस वर्ष एक विशेष शुभ योग का निर्माण हो रहा है, जो इस शिवरात्रि की महिमा में वृद्धि करता है। इस वर्ष महाशिवरात्रि के दिन शिव योग बन रहा है। शिव योग में भगवान शिव की विधि पूर्वक पूजा करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
शिवरात्रि पर अभिजित मुहूर्त का समय
पंचांग के अनुसार 11 मार्च को अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 08 मिनट से 12 बजकर 55 तक रहेगा। मान्यता है कि इस मुहूर्त में किए गए कार्यों का अभिजित फल प्राप्त होता है। मुंबई के हस्तरेखातज्ञ विनोद जी पंडित के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन विभिन्न राशियों के लिए अलग अलग तरीके से उपाय होते हैं लेकिन सभी लोग जो है महाशिवरात्रि के दिन शिवजी के लिए चावल मसूर दाल शहद गन्ने का रस बेलपत्र दही आदि चढ़ा सकते हो। जिनको राहु का केतु का तकलीफ है उन लोग काले तिल चढ़ा सकते हैं, जिससे राहु की तकलीफ आपको कम होगी। अगर आपको केतु की तकलीफ होती है तो आप सफेद तिल शिवजी के ऊपर चढ़ा सकते हो। महाशिवरात्रि के दिन सभी लोग सफेद वस्त्र अगर धारण करते हैं तो लाभ आपको निश्चित रूप से मिलता है। इससे आगे जाकर हम बात करें तो आप रुद्राक्ष की माला भी शिवजी को अर्पित कर सकते हो। छोटे-छोटे उपाय करते हम शिवजी को प्रसन्न न कर सकते हैं और हमारी मनोकामना शिवजी पूरी करते हैं। पूरी श्रद्धा के साथ विश्वास के साथ शिवजी का स्मरण कीजिए भजन कीर्तन कीजिए। माथे पर शिवजी का भस्म लगाइए तो आपको लाभ मिलेगा। शिवजी के ऊपर दूध और जल का अभिषेक तो हम करते ही आए हैं उस दिन भी कर सकते हैं। अगर किसी को शादी नहीं हो रही है शादी में बाधा आ रही है तो शिवजी को दो केले चढ़ा सकता है और चने की दाल भी अर्पित कर सकते हैं जिससे आपकी शादी की बाधाएं दूर हो सकती है।
महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि तिथि- 11 मार्च 2021
महानिशीथ काल – 11 मर्च रात 11 बजकर 44 मिनट से रात 12 बजकर 33 मिनट तक
निशीथ काल पूजा मुहूर्त : 11 मार्च देर रात 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक
अवधि-48 मिनट
महाशिवरात्रि पारणा मुहूर्त : 12 मार्च सुबह 6 बजकर 36 मिनट 6 सेकंड से दोपहर 3 बजकर 4 मिनट 32 सेकंड तक।
चतुर्दशी तिथि शुरू: 11 मार्च को दोपहर 2 बजकर 39 मिनट से
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 12 मार्च दोपहर 3 बजकर 3 मिनट
पूजा विधि :-
इस दिन प्रात: काल स्नान ध्यान से निव्रत होकर व्रत रखना चाहिए। पत्र-पुष्प और सुंदर वस्त्रों से मण्डप तैयार कर सवतोभद्र की वेदी पर कलश की स्थापना के साथ-साथ गौरी-शंकर और नंदी की मूर्ति रखनी चाहिए। कलश में जल भरकर रोली, मौली, चावल, पान,सुपारी, लौंग, इलायची, चन्दन, दूध, दही, घी, शहद, कमलगट्टा, धतूरा, बिल्बपत्र शिव जी को अर्पित कर पूजा करनी चहिए। बिल्बपत्र की महिमा अत्याधिक है। बिल्बपत्र को उलटा कर चढ़ाना चाहिए। इसी दिन शाम या रात्रि को काले तिलों से स्नान कर रात्रि को जागरण कर के शिवजी की स्तुति का पाठ कराना अथवा रुद्राभिषेक कराना चाहिए। इस जागरण में शिव नी की चार आरती का विधान जरूरी है। इस अवसर पर शिवपुराण का पाठ मंगलकारी है।
ऐसे करें महादेव की स्तुति
जय नाथ कृपासिन्धो जय भक्तार्तिभंजन।
जय दुस्तरसंसार-सागरोत्तारणप्रभो॥
प्रसीद मे महाभाग संसारात्र्तस्यखिद्यत:।
सर्वपापक्षयंकृत्वारक्ष मां परमेश्वर॥
शमी पत्र को चढ़ाने का मंत्र
अमंगलानां च शमनीं शमनीं दुष्कृतस्य च।
दु:स्वप्रनाशिनीं धन्यां प्रपद्येहं शमीं शुभाम्।।
राशि के अनुसार ऐसे करें शिव आराधना
मेष राशि : शिव की पूजा के न बाद ‘ह्रीं ओम नमः शिवाय ह्रीं’ इस मंत्र का 108 बार जप करें. शहद, गु़ड़, गन्ने का रस, लाल पुष्प चढ़ाएं.
वृष राशि : इस राशि के व्यक्ति मल्लिकार्जुन का ध्यान करते हुए ‘ओम नमः शिवाय’ मंत्र का जप करें और कच्चे दूध, दही, श्वेत पुष्प चढ़ाएं.
मिथुन राशि : महाकालेश्वर का ध्यान करते हुए ‘ओम नमो भगवते रूद्राय’ मंत्र का यथासंभव जप करें. हरे फलों का रस, मूंग, बेलपत्र आदि चढाएं.
कर्क राशि : शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए ‘ओम हौं जूं सः’ मंत्र का जितना संभव हो जप करें और शिवलिंग पर कच्चा दूध, मक्खन, मूंग, बेलपत्र आदि चढाएं.
सिंह राशि : ‘ओम त्र्यंबकं यजामहे सुगंधि पुष्टिवर्धनम, उर्वारूकमिव बन्ध्नान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्.’ इस मंत्र का कम से कम 51 बार जप करें. इसके साथ ही ज्योतिर्लिंग पर शहद, गु़ड़, शुद्ध घी, लाल पुष्प आदि चढाएं.
कन्या राशि : ‘ओम नमो भगवते रूद्राय’ मंत्र का यथासंभव जप करें. हरे फलों का रस, बिल्वपत्र, मूंग, हरे व नीले पुष्प चढाएं.
तुला राशि : शिव पंचाक्षरी मंत्र ‘ओम नमः शिवाय’ का 108 बार जप करें और दूध, दही, घी, मक्खन, मिश्री चढ़ाएं.
वृश्चिक राशि : ‘ह्रीं ओम नमः शिवाय ह्रीं’ मंत्र का जप करें और शहद, शुद्ध घी, गु़ड़, बेलपत्र, लाल पुष्प शिवलिंग पर अर्पित करें.
धनु राशि : इस राशि वाले ‘ओम तत्पुरूषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रूद्रः प्रचोदयात।।’ इस मंत्र से शिव की पूजा करें. धनु राशि वाले मंत्र जाप के अलावा शिवलिंग पर शुद्ध घी, शहद, मिश्री, बादाम, पीले पुष्प, पीले फल चढ़ाएं.
मकर राशि : त्रयम्बकेश्वर का ध्यान करते हुए ‘ओम नमः शिवाय’ मंत्र का 5 माला जप करें. इसके अलावा भगवान शिव का सरसों का तेल, तिल का तेल, कच्चा दूध, जामुन, नीले पुष्प से अभिषेक करें.
कुंभ राशि : कुंभ राशि के स्वामी भी शनि देव हैं इसलिए इस राशि के व्यक्ति भी मकर राशि की तरह ‘ओम नमः शिवाय’ का जप करें. जप के समय केदरनाथ का ध्यान करें. कच्चा दूध, सरसों का तेल, तिल का तेल, नीले पुष्प चढाएं.
मीन राशि : ओम तत्पुरूषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रूद्र प्रचोदयात।। इस मंत्र का जितना अधिक हो सके जप करें. गन्ने का रस, शहद, बादाम, बेलपत्र, पीले पुष्प, पीले फल चढाएं
महाशिवरात्रि उपवास का बड़ा महत्व
महाशिवरात्रि के दिन उपवास का भी बड़ा महत्व है। इस दिन शिवभक्त उपवास रखते हैं। मान्यता है कि इस दिन उपवास रखने से महादेव की कृपा प्राप्त होती है। उपवास करने के लिए एक दिन पहले से तैयारी कर लेना चाहिए। व्रत के दिन फलाहार लिया जा सकता है।
यह है महादेव की स्तुति
जय नाथ कृपासिन्धो जय भक्तार्तिभंजन।
जय दुस्तरसंसार-सागरोत्तारणप्रभो॥
प्रसीद मे महाभाग संसारात्र्तस्यखिद्यत:।
सर्वपापक्षयंकृत्वारक्ष मां परमेश्वर॥
शमी पत्र को चढ़ाने का मंत्र
अमंगलानां च शमनीं शमनीं दुष्कृतस्य च।
दु:स्वप्रनाशिनीं धन्यां प्रपद्येहं शमीं शुभाम्।।
पूजा करते समय रखें यह ध्यान
शिवलिंग की पूजा में जलाभिषेक की विशेष परंपरा है और इससे भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। शिवलिंग को पंचामृत से स्नान करवाकर जलाभिषेक करना चाहिए। इसके बाद चंदन का लेप लगाना चाहिए। साथ ही भस्म से त्रिपुण्ड शिवलिंग पर बनाना चाहिए। शिवलिंग पर अबीर, गुलाल, अक्षत, सुगंधित फूल के साथ आंकड़ा, धतूरा, भांग, बिलपत्र, बेलफल, नारियल, ऋतुफल, मिठाई, पंचमेवा आदि समर्पित करें।
शिवपूजा में श्वेत रंग का महत्व
महादेव की आराधना में सफेद रंग का खास महत्व होता है इसलिए सफेद फूल, सफेद मिठाई, सफेद वस्त्र समर्पित करना चाहिए। इसके साथ ग्रहों की पीड़ा को शांत करने के लिए और विशेष इच्छाओं की पूर्ति के लिए शिवलिंग की विशेष पूजा का विधान है। इसके साथ ही शिवलिंग पूजा में कुछ खास सावधानियां भी बरतना चाहिए।
शिवलिंग को जलधारा के नीचे रखना चाहिए
इसी तरह यदि घर में शिवलिंग का स्थान बदलना हो तो शिवलिंग के पैर छूकर उसको गंगाजल से भरे बर्तन में रखें और गंगाजल से अभिषेक करें। इसके साथ ही शिवलिंग को जलधारा के नीचे रखना चाहिए और उसके ऊपर सतत जलधारा प्रवाहित होना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा न होने से शिवलिंग में से नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है। इसके साथ ही शिवलिंग के साथ देवी पार्वती और श्रीगणेश की प्रतिमा भी होना चाहिए।