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त्यागी ने कहा कि यह सम्मिलन साल 2018 के अक्टूबर से प्रभावी होगा और इससे क्रॉस लिस्टिंग के साथ ही निवेशकों को विभिन्न वर्गों की परिसंपत्तियों तक पहुंच प्रदान करेगा। इस निर्णय से बड़ी स्टॉक एक्सचेंज कंपनियां जैसे बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज), एनएससी (नैशनल स्टॉक एक्सचेंज) और मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एमसीएक्स) अपने प्लेटफॉर्म पर इक्विटी और कमोडिटी दोनों को सूचीबद्ध कर पाएंगी और निवेशकों को एक ही प्लेटफॉर्म पर दोनों सेवाएं मिलेंगी।
एचडीएफसी सिक्युरिटीज के प्रमुख (रिटेल रिसर्च) दीपक जासानी का कहना है, ‘इस कदम से एनएसई और बीएसई जैसे शेयर बाजार को अपने प्लेटफॉर्म पर कमोडिटी उत्पाद लॉन्च करने में मदद मिलेगी।’ जासानी ने आईएएनएस को बताया, ‘इस सम्मिलन से लोग एक ही खाते के माध्यम से सभी वर्ग की परिसंपत्तियों में ट्रेडिंग कर सकेंगे। सेबी इसके अलावा आरईआईटी (रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट) के लिए भी नियमों को सरल और तर्कसंगत बना रही है।’
बीएसई के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशीष कुमार चौहान ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘बीएसई का मानना है कि यह निर्णय विभिन्न बाजारों में प्रतिभागियों को एक उच्च विनियमित, सुरक्षित, अधिक पारदर्शी ट्रेडिंग, समाशोधन और निपटान ढांचा बनाने में मदद करेगा।’
उन्होंने कहा, ‘बीएसई इसकी लंबे समय से मांग करता रहा है, ताकि अपने 3.71 करोड़ से अधिक पंजीकृत निवेशकों को ये सुविधाएं मुहैया करा सके।’ एंजल ब्रोकिंग के प्रमुख सलाहकार अमर सिंह ने कहा, ‘इस कदम से (शेयर) बाजारों के व्यापक बनने की उम्मीद है और यह महत्वपूर्ण सुधार आनेवाले वर्षों में भारतीय वित्तीय बाजारों के विकास में योगदान करेगा।’
सेबी ने निदेशक मंडल की पिछली बैठक में क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों (सीआरए) के लिए पात्रता की जरूरत को बढ़ा दी है और अतिरिक्त प्रावधान किए हैं, ताकि क्रॉसहोल्डिंग से बचा जा सके।
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