शेयर बाजार में हाहाकार! चार दिन में निवेशकों के 24.69 लाख करोड़ रुपये डूबे

इक्विटी मार्केट में पिछले 4 कारोबारी सत्रों की गिरावट से निवेशकों का भारी नुकसान हुआ है। उनके करीब 24.69 लाख करोड़ रुपये डूब गए। वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में उछाल और विदेशी फंड की निरंतर निकासी से सेंसेक्स और निफ्टी में लगातार गिरावट आ रही है।

वहीं, अमेरिका में मजबूत रोजगार आंकड़ों ने आग में घी डालने का काम किया, क्योंकि इससे ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कम हो गई। वहीं, रुपये में भी लगभग दो साल में सबसे बड़ी एक दिन की गिरावट आई। इससे भी निवेशकों का हौसला पस्त हो गया।

चार सत्र में 2.39 फीसदी गिरा सेंसेक्स

पिछले चार कारोबारी सत्रों में बीएसई सेंसेक्स 1,869.1 अंक या 2.39 प्रतिशत गिरा है। शुक्रवार को लगातार चौथे सत्र में गिरावट के साथ, 30 शेयरों वाला बीएसई बेंचमार्क सेंसेक्स 1,048.90 अंक या 1.36 प्रतिशत गिरकर अंत में 76,330.01 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार के दौरान यह 1,129.19 अंक या 1.45 प्रतिशत गिरकर 76,249.72 पर आ गया।

बीएसई में सूचीबद्ध फर्मों का बाजार पूंजीकरण चार दिनों में 24,69,243.3 करोड़ रुपये घटकर 4,17,05,906.74 करोड़ रुपये (4.82 ट्रिलियन डॉलर) रह गया। सोमवार को शेयरों में तेज गिरावट के साथ ही बीएसई में सूचीबद्ध फर्मों का बाजार पूंजीकरण 5 ट्रिलियन डॉलर के स्तर से नीचे चला गया। अकेले सोमवार को निवेशकों की संपत्ति में 12.61 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई।

क्या है एक्सपर्ट की राय

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड में रिसर्च और वेल्थ मैनेजमेंट के हेड सिद्धार्थ खेमका का कहना है, ‘इस महीने विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार बिकवाली 20,000 करोड़ रुपये को पार कर गई। इससे बाजार में नेगेटिव सेंटिमेंट को बढ़ावा मिला। अमेरिकी गैर-कृषि पेरोल आंकड़ों के अपेक्षा से अधिक मजबूत होने के कारण भारतीय रुपया सत्र के दौरान डॉलर के मुकाबले नए निचले स्तर पर पहुंच गया। इसने सेंटिमेंट को और भी कमजोर कर दिया।’

खेमका कहना है कि अमेरिकी प्रतिबंध बढ़ने से बीच तेल की कीमतें तीन महीने से अधिक समय में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह रूस से क्रूड ऑयल सप्लाई बाधित होना है। इसने वैश्विक अनिश्चितता को बढ़ा दिया है।

किस शेयर का कैसा रहा प्रदर्शन

अगर 30 शेयरों वाले ब्लू-चिप पैक की बात करें, तो जोमैटो में 6.50 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई। पावर ग्रिड, अदाणी पोर्ट्स, टाटा स्टील, एनटीपीसी, टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एशियन पेंट्स, टेक महिंद्रा, अल्ट्राटेक सीमेंट और सन फार्मा को भी काफी नुकसान हुआ। इसके उलट एक्सिस बैंक, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, हिंदुस्तान यूनिलीवर और इंडसइंड बैंक में तेजी देखने को मिली।हालांकि, सबसे अधिक मार मिड कैप और स्मॉल कैप शेयरों पर पड़ी। इनमें से अधिक स्टॉक 4 से 5 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुए। एक्सपर्ट का मानना है कि कच्चे तेल का दाम बढ़ने से मुद्रास्फीति में भी उछाल आएगा। इससे बाजार का सेंटिमेंट और भी खराब होने की आशंका है।

रुपये में दो साल की सबसे बड़ी गिरावट

अमेरिकी मुद्रा में मजबूती और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के बीच रुपया सोमवार को डॉलर के मुकाबले दो साल में एक दिन की सबसे बड़ी 58 पैसे की गिरावट के साथ 86.62 के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ। इससे पहले छह फरवरी, 2023 को रुपये में 68 पैसे की बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 86.12 के भाव पर खुला और कारोबार के दौरान एक बार 86.11 पर पहुंचा। हालांकि अधिकांश समय यह नकारात्मक दायरे में ही रहा। पिछले दो सप्ताह में रुपये में अमूमन गिरावट का ही रुख रहा है। रुपया 30 दिसंबर को 85.52 के स्तर पर बंद होने के बाद से पिछले दो सप्ताह में एक रुपये से अधिक की बड़ी गिरावट देख चुका है।

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