जहां एक तरफ आम जनता लोकसभा चुनाव के नतीजों का इंतजार कर रही है तो वहीं ट्रेडर्स बाजार की तेजी पर नजर बनाए हुए हैं। सोमवार के सत्र में सेंसेक्स और निफ्टी में शानदार तेजी देखने को मिली थी। ऐसे में जहां निवेशकों को मुनाफा हुआ था तो वहीं उन्हें नुकसान का डर भी है।
शेयर बाजार का इलेक्शन के साथ कनेक्शन है यह तो सोमवार के सत्र में पूरी तरह से साफ है। लेकिन डर है कि अगर शेयर बाजार में उलट-फेर हुआ तो निवेशकों को नुकसान का सामना करना पड़ेगा। वैसे तो शेयर बाजार में उलटफेर की आशंका कम ही है, लेकिन फिर भी स्टॉक एक्सचेंज इसके लिए तैयार है।
दरअसल, निवेशकों में बाजार में तेज उतार-चढ़ाव से बचाने के लिए स्टॉक एक्सचेंज सर्किट ब्रेकर (Circut Breaker) लगाता है। आज भी बाजार में यह सर्किट ब्रेकर लग सकते हैं।
क्या होता है सर्किट ब्रेकर
2 जुलाई 2001 में स्टॉक एक्सचेंज ने इंडेक्स-बेस्ड मार्केट-वाइड सर्किट ब्रेकर लागू किया था। यह ब्रेकर शेयर मार्केट के मूवमेंट को कंट्रोल करता है। यब ब्रेकर 3 स्टेज में लगते हैं। स्टॉक मार्केट में 10 फीसदी, 15 फीसदी और 20 फीसदी के उतार-चढ़ाव पर यब ब्रेकर लगते हैं।
आपको बता दें कि सर्किट ब्रेकर में सभी इक्विटी और इक्विटी डेरीवेटिव मार्केट एक समयसीमा तक बंद रहते हैं। इसका मतलब है कि तय सीमा तक निवेशक शेयर की खरीद-बिक्री नहीं कर सकते हैं।
कब लगता है सर्किट ब्रेकर
शेयर मार्केट में सर्किट ब्रेकर तब लगता है जब सेंसेक्स या निफ्टी में अचानक उतार- चढ़ाव आए और वह तय लेवल में से किसी को एक भी पार कर देता है। हर लेवल के पार करने के बाद बाजार में ट्रेडिंग कुछ समय के लिए रुक जाती है और ट्रेडिंग शुरू होने के नियम भी अलग होते हैं।
कितनी देर के लिए बंद होगा बाजार
अगर स्टॉक एक्सचेंज दोपहर 1 बजे से पहले 10 फीसदी की सीमा को पार करता है यानी बाजार में 10 फीसदी की तेजी या गिरावट आती है तो बाजार में 45 मिनट के लिए कारोबार बंद हो जाता है।
ऐसे में बाजार में दोबारा ट्रेडिंग शुरू करने के लिए प्री-ओपन कॉल ऑक्शन सेशन होता है। प्री-ओपन कॉल ऑक्शन सेशन 15 मिनट का होता है।
वहीं, अगर 1 बजे से पहले बाजार में 15 फीसदी का उतार-चढ़ाव आता है तब मार्केट 1 घंटा 45 मिनट के लिए बंद हो जाता है। अगर मार्केट में 1 बजे के बाद और 2 बजे से पहले 15 फीसदी की तेजी आती है तब स्टॉक एक्सेचेंज केवल 45 मिनट के लिए बंद रहेगा।
वहीं, 2 बजे के बाद बाजार में 15 फीसदी की तेजी आती है तो बाजार पूरे सत्र के लिए बंद हो जाता है। इसका मतलब है कि ट्रेडिंग अगले कारोबारी सत्र में ही शुरू होता है।
अगर अगले दिन भी बाजार में 20 फीसदी का उतार-चढ़ाव आता है तब स्टॉक एक्सचेंज उस पूरे सत्र के लिए बंद कर दिया जाता है।