संक्रमण से दूर रहना तो इस शीतला अष्टमी करें मां शीतला की पूजा #tosnews
ग्रीष्म मौसम की शुरूआत हो चुकी है। घर से लेकर बाहर तक सभी लोग शीतल छाया की तलाश करते हैं। राहगीर भी शीतल छाया की तलाश में किसी वृक्ष की ओट के नीचे बैठकर विश्राम तलाशने लगते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि शीतलता प्रदान कौन करता है? सभी को शीतलता प्रदान करने वाली शीतला माता हमेशा ही अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। #tosnews
इनकी उपासना “शीतला अष्टमी” के दिन मुख्य रूप से की जाती है। इस बार शीतला अष्टमी का पर्व 04 अप्रैल को मनाया जाएगा।
शीतला माता की सवारी गधा होता है। माता का उल्लेख स्कंदपुराण में मिलता है। मां शीतला का जो स्वरूप है वह अत्यंत ही शीतल है और इनकी शीतलता से सारे कष्ट-रोग अपने आप ही नष्ट हो जाते हैं। मां शीतला हाथों में कलश, सूप, झाड़ू और नीम के पत्ते लिए हुए रहती हैं। या ये कहें कि यह माता की पहचान है। माता की उपासना ग्रीष्म के मौसम में की जाती है। #tosnews
मां शीतला को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इनके प्रसाद के लिए बासी खाद्य पदार्थ को अर्पित किया जाता है। जिसे बसौड़ा भी कहा जाता है। चांदी की धातु में माता शीतला की पूजा अर्चना की जाती है। क्योंकि चांदी को शीतल यानि ठंडक का प्रतीक कहा जाता है। ज्यादातर लोग माता की उपासना बसंत व ग्रीष्म ऋतु में करते हैं। माता की पूजा और ध्यान करने से शरीर के सारे रोग दूर हो जाते हैं साथ ही संक्रमण का खतरा भी नहीं होता है। #tosnews
क्या है आधार ?
मां शीतला से जुड़ा वैज्ञानिक आधार भी है। आपको बता दें कि चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ और आषाढ़ की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शीतलाष्टमी के रूप में मनाते हैं। संक्रमण से बचने के लिए शीतला अष्टमी को मनाया जाता है। मान्यता है कि केवल इस दिन ही आप बासी भोजन ग्रहण कर सकते हैं, अगर इस दिन के बाद भी आपने बासी भोजन ग्रहण किया तो रोगों का शिकार हो सकते हैं। #tosnews
कैसे करें उपासना-
जितना जरूरी पूजा उपासना है, उतना ही जरूरी पूजन विधि को जानना भी है। जब आप माता की उपासना करें तो एक चांदी का चौकोर टुकड़ा अर्पित उन्हें अवश्य अर्पित करें। प्रसाद में उन्हें आप खीर का भोग लगाएं। पूजा करते समय आप अपने बच्चे को साथ में बैठाएं। इसके बाद आप चांदी के चौकोर टुकड़े को आप लाल धागे में बांधकर बच्चे के गले में धारण करें। #tosnews