रामजन्मभूमि से लगी और रामनगरी की चुनिदा प्राचीन पीठों में शुमार रामकचेहरी मंदिर के संस्थापक एवं दिग्गज संत अंबरदास को पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य ने कहा, उन जैसे संत की स्मृति प्रकाश स्तंभ की तरह है और वे आगामी कई सदियों तक संतों की आने वाले पीढ़ी का मार्गदर्शन करते रहेंगे।
शीर्ष पीठ रामवल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमारदास ने कहा, समय के साथ संतों को भी जागतिक होना पड़ रहा है, पर अंबरदास जैसे पहुंचे संतों की स्मृति दुनियादारी से विलग अंत:करण में डुबकी लगाने का आमंत्रण देती है और यही सच्चा संतत्व है। नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास ने कहा, उन जैसे संतों को केंद्र में रखकर शोध होना चाहिए ताकि मनुष्यता को दिव्य-दैवी बनाने की मुहिम आगे बढ़ती रहे। रामकचेहरी के वर्तमान महंत एवं आंजनेय सेवा संस्थान के अध्यक्ष महंत शशिकांतदास ने कहा, अंबरदास की आध्यात्मिक परंपरा का संवाहक होना गर्व का विषय है और हम इस महती विरासत से पूरा न्याय करने का प्रयास कर रहे हैं। इसी परंपरा के रामकथा मर्मज्ञ महंत मनीषदास ने आभार ज्ञापित करतेहुए कहा, अंबरदास के प्रति संत समाज का अनुराग प्रेरित करनेवाला है। श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में मणिरामदास जी की छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमलनयनदास, रंगमहल के महंत रामशरणदास, विहिप के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज, महंत मनमोहनदास, महंत रामकुमारदास, पार्षद रमेशदास एवं अनुजदास, भाजपा नेता संजय शुक्ल, रामजी त्रिपाठी, समाजसेवी अनिरुद्ध शुक्ल, अधिवक्ता विशंभर त्रिपाठी आदि प्रमुख रहे।
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