विश्व भर के कई देश आतंकवाद की दिक्कत से परेशान हैं। भारत ने एक बार फिर आतंकवाद के मसले को संयुक्त राष्ट्र महासभा उठाया है। वैश्विक आतंकवाद निरोधी रणनीति की 7वीं समीक्षा पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के विवाद में हिस्सा लेते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने कबूल किया है कि आतंकवाद का संकट गंभीर है तथा इसे सार्वभौमिक और बगैर किसी अपवाद के संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों के सामूहिक कोशिशों से ही हराया जा सकता है।
उन्होंने बताया, “9/11 के पश्चात् हमने यह माना कि विश्व के एक भाग में उपस्थित आतंकवाद, विश्व के दूसरे भाग को सीधे प्रभावित कर सकता है तथा हम सभी सामूहिक तौर पर आतंकवाद के विरुद्ध लड़ने के लिए एक साथ आए।” दूत ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को यह नहीं भूलना चाहिए कि 9/11 के आतंकी हमले से पहले, पूरा विश्व “आपके आतंकवादी” या “मेरे आतंकवादी” में बंटा हुआ था।
उन्होंने बताया, दो दशकों के पश्चात् अब नस्लीय एवं जातीय उग्रवाद, हिंसक राष्ट्रवाद, दक्षिणपंथी उग्रवाद जैसे उभरते संकटों की आड़ में हमें एक बार फिर से तोड़ने का प्रयास हो रहा है। तिरुमूर्ति ने बताया, मुझे आशा है कि सदस्य देश इतिहास को नहीं भूलेंगे। संयुक्त राष्ट्र महासभा प्रत्येक दो वर्ष में रणनीति की समीक्षा करती है, जिससे यह सदस्य देशों की आतंकवाद विरोधी प्राथमिकताओं के अनुरूप एक जीवित दस्तावेज बन जाती है। संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने बोला कि महासभा योजना की समीक्षा करती है तथा इस मौके पर एक प्रस्ताव को अपनाने पर विचार करती है। तिरुमूर्ति ने सभी सदस्य देशों से बोला कि हमारे लिए यह आवश्यक है कि अब तक हमने जो लाभ प्राप्त किए हैं, उसको न गंवाया जाए। हम सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी को आतंकवाद के लिए कोई बहाना अथवा औचित्य प्रदान करने का जरा भी अवसर नहीं देना है, क्योंकि इससे हमारा सामूहिक विवाद कमजोर पड़ सकता है।
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