पूर्व बीसीसीआइ अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने अपने आखिरी कार्यकाल में विवादों से बचने के लिए टीम इंडिया का मुख्य कोच चुनने के लिए सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण वाली क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) का गठन किया था, लेकिन पिछले दो कोच और सहयोगी स्टाफ के चयन में जितना विवाद हुआ, शायद इससे पहले कभी नहीं हुआ। पिछली बार जब सीएसी ने पूर्व टीम निदेशक रवि शास्त्री पर अनिल कुंबले को वरीयता देते हुए मुख्य कोच चुना तब भी भारी बवाल मचा। शास्त्री और गांगुली ने एक-दूसरे के खिलाफ बयान भी दिए। कुंबले और कप्तान कोहली की साल भर भी नहीं बनी और पिछले महीने चैंपियंस ट्रॉफी के बाद मुख्य कोच ने इस्तीफा दे दिया।
कुंबले का करार एक वर्ष का ही था और इससे पहले ही सीएसी को नया कोच चुनने की जिम्मेदारी दी जा चुकी थी। वेस्टइंडीज दौरे से पहले सीएसी ने कुंबले को कोच चुन भी लिया था, लेकिन उन्होंने इस्तीफा देना मुनासिब समझा। इसके बाद नए कोच के लिए फिर से आवेदन मंगाए गए। इस बीच बोर्ड के पदाधिकारी भी शास्त्री को दोबारा कुर्सी दिलाने के लिए सक्रिय हो चुके थे। लंदन में बैठक करने के बाद सीएसी की मुंबई में बैठक हुई। सीएसी के दो सदस्य वीरेंद्र सहवाग के पक्ष में, तो एक शास्त्री के। बोर्ड के कुछ सदस्य और कप्तान भी शास्त्री के पक्ष में थे। इसके बावजूद सीएसी शास्त्री के नाम पर सहमत नहीं हो पाई।
सीएसी को ही कोच चुनने की पूरी पावर देने की बात कहने वाली बीसीसीआइ व सीओए किसी न किसी तरीके से चयन में दखल देती रही। सीईओ राहुल जौहरी को कप्तान व बाकी टीम से कोच पर राय लेने के लिए वेस्टइंडीज भेजा गया। यही नहीं आवेदकों के साक्षात्कार होने के बाद जब गांगुली ने फैसला लेने से पहले कप्तान से बात करने की बात कही तो सीओए ने उन्हें जल्द से जल्द निर्णय लेने का आदेश दे दिया। जो सीओए कह रहा था कि सीएसी मुख्य कोच पर जल्द फैसला ले, क्योंकि इसको टालने से बीसीसीआइ की बदनामी हो हो रही है, उसी सीओए ने सीएसी के जहीर को गेंदबाजी व द्रविड़ को बल्लेबाजी सलाहकार चुनने के फैसले को ही शनिवार को टाल दिया। सीओए को बताना चाहिए कि जिस सीएसी को आप सर्वेसर्वा बता रहे थे उसके फैसले को टालने से क्या अब क्रिकेट की बेइज्जती नहीं हो रही।
यही नहीं सीओए ने सहयोगी स्टाफ और सलाहकारों पर फैसला लेने के लिए एक समिति का गठन कर दिया। यह समिति कोच रवि शास्त्री से भी सलाह लेगी। जब मुख्य कोच का चयन कप्तान की पसंद का और सहयोगी स्टाफ मुख्य कोच की पसंद का ही रखना था तो फिर दो महीने तक ड्रामा क्यों किया गया? फिर सीएसी को यह जिम्मेदारी ही क्यों दी गई? सीएसी में शामिल तीन दिग्गजों की बेइज्जती क्यों की गई? अब बोर्ड के कुछ अधिकारी कह रहे हैं कि सीएसी का काम मुख्य कोच चुनना था, लेकिन उन्होंने सलाहकार भी चुन लिए तो उन्हें यह जवाब देना चाहिए कि इस चयन के तुरंत बाद सीओए व बीसीसीआइ ने सीएसी की तारीफ क्यों की थी? सीएसी पहले ही पत्र लिखकर इस बात का दुख जता चुकी है कि ऐसा दिखाया जा रहा है कि उन्होंने द्रविड़ व जहीर की नियुक्तियां शास्त्री पर थोपी थीं। सीएसी के पास इसके सुबूत भी हैं कि उन्होंने दोनों के चयन को लेकर शास्त्री से बात की थी जिस पर उन्होंने सहमति भी दी थी।