साल का पहला सूर्यग्रहण रविवार को सुबह 10 बजकर 11 मिनट से शुरू हो गया। देश के कुछ हिस्सों में ग्रहण दिखने भी शुरू हो गया है। चूड़ामणि नाम के इस ग्रहण को दून में लोगों ने घरों की छतों से एक्सरे की फ़िल्म से देखा, जबकि कई लोगों ने एकांतवास में ध्यान किया। ग्रहण का बेहतरीन नजारा दोपहर 12 बजे दिखेगा, जब सूर्य सोने की अंगूठी की तरह नजर आएगा।
इससे पहले ग्रहणकाल से 12 घंटा पहले सूतक काल में लोगों ने घर पर पूजास्थल को पर्दे से ढक दिए। दून के विभिन्न मंदिरों के कपाट पूर्ण रूप से बंद किए गए, जिन्हें दोपहर एक बजकर 40 मिनट पर ग्रहणकाल खत्म होने के बाद खोला जाएगा और प्रतिमा को गंगाजल, दूध से स्नान कराने के बाद परिसर में सफाई की जाएगी। इसके बाद ही पूजा होगी। ज्योतिषाचार्य सुशांत राज, पंडित सुभाष जोशी, सुशांत जोशी, आचार्य पवन भट्ट, विष्णु प्रसाद भट्ट, वेद प्रकाश, विनोद कुमार की मानें तो इस ग्रहण का तुला, मिथुन, धनु, वृष, कन्या, तुला, वृश्चिक, कुम्भ और मीन राशि पर प्रभाव पड़ेगा।
देहरादून, नई टिहरी, चमोली, जोशीमठ व गोपेश्वर दिखेगा वलयाकार ग्रहण
वलयाकार ग्रहण उत्तराखंड में देहरादून, नई टिहरी, चमोली, जोशीमठ व गोपेश्वर आदि क्षेत्रों में ही नजर आएगा। इन क्षेत्रों में भी चंद्रमा सूर्य का 99 प्रतिशत ही ढक पाएगा। जिसके चलते वलयाकार सूर्यग्रहण नजर आएगा।
ऐसा होता है वलयाकार सूर्यग्रहण
वलयाकार सूर्यग्रहण बेहद दिलचस्प है। इस ग्रहण में चंद्रमा का आभासीय आकार सूर्य से कम होने के कारण चंद्रमा की छाया पूरी तरह से सूर्य को ढक नही पाती है और सूर्य का बाहरी हिस्सा आग के छल्ले के समान नजर आता है। जिस कारण इसे वलयाकार सूर्यग्रहण कहा जाता है।
नग्न आंखों से देखने की न करें भूल
सूर्यग्रहण को देखने के लिए आंखों के लिए एहतियात बरतने की सख्त जरूरत है। इसे नग्न आंखों से देखने की भूल कतई न करें, ना ही एस्कसरे फिल्म से देखें। कैमरे की नजर से भी सूर्य को ना देखें। सूर्यग्रहण देखने के लिए उपयुक्त फिल्टरयुक्त बायनाकूलर का प्रयोग करें। गत्ते का पिन होल कैमरा बनाकर सूर्य के प्रतिबिम्ब जमीन अथवा किसी पर्दे में ही देखें। इसके अलावा प्रोजेक्शन यानी सूर्य के प्रतिबिंब का दीवार व पर्दे में देखें। सूर्यग्रहण के विशेष चश्में से भी देखा जा सकता है।
मृगशिरा व आर्द्रा नक्षत्र और मिथुन राशि में लगने वाला साल का यह पहला सूर्य ग्रहण रविवार सुबह 10.25 बजे प्रारंभ होगा। ग्रहण का मध्य दोपहर 12.06 बजे और मोक्ष दोपहर एक बजकर 52 मिनट पर होगा। बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, केदारनाथ के मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग, गंगोत्री के तीर्थ पुरोहित दीपक सेमवाल व यमुनोत्री के तीर्थ पुरोहित कृतेश्वर उनियाल ने बताया कि ग्रहण के प्रारंभ से 12 घंटे पूर्व शनिवार रात 10.25 बजे से उसका सूतक प्रारंभ हो गया है, जो कि ग्रहण के मोक्ष तक रहेगा।
सो, सूतक काल के लिए चारों धाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री के अलावा पंच बदरी, पंच केदार आदि सभी मठ मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए। बताया कि रविवार दोपहर ग्रहण की समाप्ति पर मंदिरों की साफ-सफाई व गर्भगृह को गंगा-यमुना के जल से पवित्र करने के उपरांत ही वहां पूजा-अर्चना शुरू की जाएगी और फिर भगवान को भोग लगेगा। उधर, श्रीगंगा सभा हरिद्वार के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने बताया कि सूतक होने के कारण हरकी पैड़ी पर सुबह होने वाली गंगा आरती दोपहर दो बजे के बाद संपन्न होगी।
दून में मंदिरों के कपाट हुए बंद
ग्रहणकाल से 12 घंटा पहले लगे सूतककाल में रात 10 बजकर 11 मिनट से शहर के सभी मंदिरों के कपाट पूर्ण रूप से बंद कर दिए गए, जो ग्रहण खत्म होने के बाद खुलेंगे। पंडितों की माने तो ग्रहणकाल खत्म होने के बाद प्रतिमा को स्नान और मंदिरों की धुलाई के बाद विधिविधान से पूजा होगी।
श्रद्ध अमावस्या पर पितरों के निमित किया दान
अषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि शनिवार को शुरू होने के बाद लोगों ने पितरों के निमित पूजा कर तर्पण दिया। इस दौरान जरूरतमंदों को भी दान किया गया। कृष्ण पक्ष की अमावस्या को स्नान दान अमावस्या भी कहा जाता है। यह दिन पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति और श्रद्ध की रस्मों को पूरा करने के लिए अन्य दिनों की तुलना में उपयुक्त माना गया है।
यह तिथि शनिवार सुबह 11:52 बजे से शुरू हो गई, जो रविवार दोपहर 12:11 बजे तक रहेगी। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार दान करने के लिए सुबह को लगने वाली तिथि शुभ मानी जाती है। शनिवार से अमावस्या की तिथि शुरू होने के बाद लोगों ने स्नान के बाद पंडितों से घरों पर पितरों के निमित पूजा कराई और उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण दिया। इसके बाद विभिन्न मंदिरों के बाद जरूरतमंदों को दान किया गया। आचार्य अमित थपलियाल, पंडित राकेश शर्मा की मानें तो 11:52 बजे से शुरू हुई अमावस्या की तिथि रविवार को ग्रहणकाल के बीच में 12:11 बजे संपन्न हो जाएगी।