यूपी में राज्यसभा की कशमकश वाली सीट पर बीजेपी उम्मीदवार को समर्थन देने वाले विधायकों पर सरकार मेहरबान नजर आ रही है. अपनी-अपनी पार्टी से बगावत कर सपा-बसपा के जिन दो विधायकों ने बीजेपी उम्मीदवार अनिल अग्रवाल के पक्ष में वोट कर उन्हें जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उन्हें अब बीजेपी सरकार की तरफ से विशेष सुरक्षा प्रदान करने की व्यवस्था की गई है.
 सपा छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले नरेश अग्रवाल के बेटे और सपा के बागी विधायक नितिन अग्रवाल को वाई श्रेणी की सुरक्षा दी गई है. वहीं, बहुजन समाज पार्टी के बागी विधायक अनिल सिंह को भी श्रेणी बद्ध सुरक्षा दी जाएगी. ये दोनों वो विधायक हैं, जिन्होंने बगावत कर 23 मार्च को राज्यसभा चुनाव के लिए हुई वोटिंग में सपा-कांग्रेस समर्थित बसपा उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर के खिलाफ वोटिंग की थी, जिससे उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
सपा छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले नरेश अग्रवाल के बेटे और सपा के बागी विधायक नितिन अग्रवाल को वाई श्रेणी की सुरक्षा दी गई है. वहीं, बहुजन समाज पार्टी के बागी विधायक अनिल सिंह को भी श्रेणी बद्ध सुरक्षा दी जाएगी. ये दोनों वो विधायक हैं, जिन्होंने बगावत कर 23 मार्च को राज्यसभा चुनाव के लिए हुई वोटिंग में सपा-कांग्रेस समर्थित बसपा उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर के खिलाफ वोटिंग की थी, जिससे उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
दरअसल, यूपी की 10 राज्यसभा सीटों पर हाल में चुनाव हुए हैं. इनमें से संख्याबल के लिहाज से 8 सीटों पर बीजेपी की जीत तय थी, जबकि एक सीट पर सपा उम्मीदवार जया बच्चन की जीत भी पक्की थी. लेकिन 10वीं सीट को लेकर पेंच था. इस सीट पर बीएसपी ने भीमराव अंबेडकर को उम्मीदवार बनाया था. उन्हें सपा और कांग्रेस समर्थन कर रही थी. शुरुआत में इस सीट पर अंबेडकर की स्थिति मजबूत दिखाई दे रही थी, लेकिन वोटिंग से एक दिन पहले बीएसपी विधायक अनिल सिंह ने बीजेपी को समर्थन का ऐलान कर दिया. दूसरी तरफ सपा विधायक नितिन अग्रवाल भी योगी के खेमे में चले गए और अंतत: वोटों के गणित में बीजेपी उम्मीदवार को जीत मिली.
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