यूपी विधानसभा चुनावों में 224 से सिर्फ 54 सीटों पर सिमट गई समाजवादी पार्टी (सपा) में एक बार फिर उठापटक होने की आशंकाएं दिखाई देने लगी हैं. सपा नेता रामगोपाल यादव ने साफ़ कर दिया है कि चुनावों के दौरान जो लोग पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा.
बता दें कि इससे पहले हार के बाद सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी विधायक दल के साथ बैठक की थी लेकिन उसमें किसी पर कार्रवाई जैसी कोई चर्चा नहीं की गई थी.
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रामगोपाल ने क्या कहा
यूपी में करारी हार के बाद अब रामगोपाल खुलकर सामने आए हैं और उन्होंने साफ़ कहा है कि पार्टी-विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को नहीं छोड़ा जाएगा. यादव ने संसद भवन परिसर में मीडिया से कहा कि हम लोग पार्टी-विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों की पहचान के लिए सभी उम्मीदवारों से लेकर जिलाध्यक्षों तक से फीडबैक लेंगे और गलत करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. किसी को भी छोड़ा नहीं जाएगा.
अखिलेश की मीटिंग में नहीं हुई थी चर्चा
बता दें कि बीते गुरुवार को अखिलेश ने भी जीतकर आए विधायकों के साथ बैठक की थी. अखिलेश की इस बैठक में 47 विधायक पहुंचे थे. इस बैठक में करीब 104 दिन बाद खिलेश यादव और उनके चाचा शिवापाल यादव एक साथ नज़र आए थे. इस बैठक में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की समीक्षा जैसी कोई बात नहीं कही गई थी.
मुलायम को नेतृत्व सौपने की मांग उठी
यूपी में हार के बाद पार्टी के भीतर से ही विरोध के स्वर उठने लगे हैं और सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की अगुवाई में नेतृत्व को पुनर्गठित करने की मांग ने जोर पकड़ लिया है. ख़बरों के मुताबिक मुलायम और उनके भाई शिवपाल सिंह यादव के करीबी नेता चाहते हैं कि अखिलेश चुनाव के बाद पार्टी की बागडोर मुलायम के हाथों में सौंपने का अपना वादा पूरा करें.
सपा के एक वरिष्ठ नेता ने गोपनीयता की शर्त पर कहा कि अखिलेश ने अपनी परीक्षा होने का हवाला देते हुए सिर्फ विधानसभा चुनाव तक ही सपा की बागडोर सौंपने की बात कही थी. अब चूंकि वह परीक्षा में नाकाम हो चुके हैं, लिहाजा उन्हें पार्टी की बागडोर नेताजी को सौंप देनी चाहिए.
चुनावों से पहले मचा था घमासान
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव से पहले सपा में मचे घमासान के दौरान शिवपाल और अखिलेश आमने-सामने आ गए थे. अखिलेश ने खुद को सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया था और शिवपाल को पहले मंत्री पद और फिर पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख पद से हटा दिया था. इस घटनाक्रम के बाद दोनों कभी एक साथ नहीं दिखे थे.
गौरतलब है कि अखिलेश 25 मार्च को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के नाम का ऐलान करेंगे. बैठक में पार्टी विधायकों ने हाल के चुनावी नतीजों पर मंथन किया. अधिकांश नेताओं ने मीडिया की सपा के प्रति नेगेटिव रिपोर्टिग और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों से कथित छेड़छाड़ को हार की वजह बताया.