Lucknow: UP सरकार के विवादित मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को सबसे भ्रष्टाचार मंत्री माना जाता है। इसी वजह से CM Akhilesh Yadav ने गायत्री प्रसाद को कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। हालांकि 26 सिंतबर को फिर से उनकी वापसी हो गई।

हालांकि गायत्री प्रसाद ने किसी तरह बीते 26 सितंबर को किसी तरह फिर से अपना मंत्रालय हासिल कर लिया। गायत्री प्रसाद प्रजापति और अवैध खनन का मामला साल 2012 में सपा की सरकार बनने के साथ ही साल दर साल बढ़ता रहा है। हालात ये हुआ कि गायत्री प्रसाद ने 4 साल में 13 कंपनियां खड़ी की और उनसे 1 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की काली कमाई कर ली।
यूपी में अवैध खनन का कारोबार भ्रष्टाचारियों के लिए काली कमाई सबसे अच्छा जरिया बन गया है, जिसका तत्कालीन खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति ने पूरा फायदा उठाया। एक वेबसाइट के अनुसार, खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के परिजनों और उनके करीबियों के ऑनरशिप वाली 13 कंपनी हैं। इनमें हर कम्पनी में गायत्री प्रसाद के दोनों बेटे, भाई, और भतीजा, सभी कंपनियों में डायरेक्टर हैं। इसमें गोल्ड क्रस्ट माइनिंग प्रा.लि. अगस्त 2014, एलिसियम माइनिंग एंड मिनरल्स इंडिया प्रा.लि. सितंबर 2014, टी एंड पी माइन्स इंडिया प्रा.लि. जुलाई 2014, इन्फोइट सोफटेकॉन प्रा.लि. जुलाई 2015, यूनिटॉन सोफटेक प्रा.लि. जुलाई 2015, फेयरटेक लैब्स प्रा.लि. जनवरी 2015 में रजिस्टर्ड है।
इसी तरह 7 और कंपनियों में गायत्री प्रसाद प्रजापति के ड्राइवर और करीबी लोगों के नाम हैं। अवैध खनन की काली कमाई को सफेद करने के लिए बनाई गई इन कंपनियों में गायत्री प्रसाद के रिश्तेदारों के अलावा घर का ड्राइवर भी कंपनी में शामिल है। गायत्री प्रसाद प्रजापति की कंपनी में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी उसके बेटे अनुराग प्रजापति की है। अनुराग प्रजापति पर पिछले साल अमेठी की एक नाबालिग लड़की से रेप का आरोप भी लगा था।
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