आपको बता दें कि पिछले 3 सप्ताह से ज्यादा का वक्त हो गया है जिसमें राज्यसभा में कोई काम काज नहीं हो पाया है. इसके चलते राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू काफी नाराज दिखे. सदन में सभापति की ओर से कई बार सदन को चलने देने और वेल में आकर हंगामा न करने की अपील की गई लेकिन उसका असर होता नहीं दिख रहा है.
राज्य सभा में इस सत्र के दौरान सिर्फ ग्रेच्युटी भुगतान संशोधन विधेयक 2017 ही पारित हो पाया है. देशहित से जुड़े दर्जनों बिल राज्य सभा में लंबित हैं. यहां तक कि सदन में वित्त और विनियोग विधेयक 2018 पर भी चर्चा नहीं हो पाई है. इसके अलावा लोकसभा के पारिच हो चुके विधेयकों को भी राज्यसभा में पारित किया जाना है.
गुरुवार को संसदीय कार्य राज्यमंत्री विजय गोयल ने यह जानकारी दी थी कि राज्य सभा को चलाने के लिए प्रत्येक मिनट में ढाई लाख रुपये खर्च होता है. लेकिन जिस तरीके से पिछले 16 दिनों से सदन नहीं चल रहा है देश की जनता की गाढ़ी कमाई का पैसापानी की तरह बह रहा है. इसके बावजूद देश के नेता हंगामा करने से बाज नहीं आ रहे हैं.
हंगामे की वजह क्या है?
सदन में विपक्षी दलों की अपनी-अपनी मांग है. कांग्रेस नीरव मोदी और बैंक घोटाले पर चर्चा चाहती है. टीडीपी आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर हंगामा कर रही है. वहीं AIADMK कावेरी के मसले पर हंगामा कर रही है. हालांकि सरकार का कहना है कि वह हर एक मुद्दे पर चर्चा चाहती है, इसके बावजूद भी संसद नहीं चल पा रही है.