देश से लेकर विदेश तक चीनी के बंपर उत्पादन का फायदा उपभोक्ताओं को नहीं मिल पा रहा है। सरकारी कोटा तय होने के बाद चीनी की कीमतें फुटकर में 40 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच चुकी हैं। थोक में चीनी की कीमतें 3450 रुपये से 3600 रुपये प्रति क्विंटल हैं।
कुछ समय पहले तक मिलों को चीनी बेचने की छूट थी। बंपर उत्पादन के कारण मिलों ने चीनी की बिक्री शुरू की तो कंपटीशन में कीमतें एकाएक काफी कम हो गई। आलम यह रहा कि चीनी की थोक बाजार में कीमत 24 सौ से 26 सौ रुपये प्रति क्विंटल तो फुटकर में 28-30 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई। बिक्री ज्यादा, मुनाफा कम होने और किसानों के गन्ने का बकाया चुकाने के लिए सरकार ने मिलों का कोटा तय कर दिया। साथ ही बिक्री का रेट भी निर्धारित कर दिया। इसके बाद से चीनी की कीमतें बढ़ने लगीं। पाकिस्तान और ब्राजील में रिकॉर्ड उत्पादन
जानकार बताते हैं कि पाकिस्तान और ब्राजील चीनी उत्पादन में अग्रणी देश हैं। इन देशों में चीनी का रिकार्ड उत्पादन हुआ है। देश में भी चीनी का प्रचुर स्टाक है। साथ ही सरकारी नीतियों और गन्ना किसानों के आधुनिक खेती अपनाने व गन्ना रकबा बढ़ने से इस बार गन्ना की पैदावार बढ़नी तय है। सरकार की मंशा है कि गन्ना किसानों का बकाया प्राथमिकता के आधार पर चुकता तो कर ही दिया जाए किसानों की आय बढ़ाने के लिए चीनी की कीमतों को कम न किया जाए। चीनी की कीमतें ज्यादा होंगी तो फायदा किसानों को मिलेगा।
– गोरखपुर में सबसे अधिक चीनी तुलसीपुर से मंगाई जा रही है। इस मिल की चीनी सबसे सस्ती, सूखी और मीडियम साइज की है। सरकार ने चीनी न्यूनतम कीमतें निर्धारित कर दी हैं। यानी अब चीनी थोक में 34 सौ से लेकर 36 सौ रुपये प्रति क्विंटल के आसपास बनी रहेगी। बंपर उत्पादन हुआ है इसलिए चीनी की कीमत ज्यादा ऊपर नहीं जाएंगी। इसलिए आने वाले दिनों कीमतों में उछाल की कोई गुंजाइश नहीं है।