दिल्ली सरकार और अधिकारियों के बीच चल रही तनातनी अब दिल्ली विधानसभा की कमेटियों तक जा पहुंची है। उत्तरी दिल्ली इलाके में बगैर प्रशासनिक मंजूरी के काम शुरू करने के मामले में विधान सभा की एस्टीमेट्स कमेटी ने जल बोर्ड से जवाब मांगा है।अभी अभी: प्रधानमंत्री मोदी का मजाक उड़ाने पर तन्मय भट्ट पर हुई एफआईआर दर्ज
वहीं, दिल्ली इंजीनियर्स एसोसिएशन ने दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत की है कि जल बोर्ड के सीईओ के साथ विधानसभा की गर्वमेंट अंडरटेकिंग कमेटी के अध्यक्ष ने बदसलूकी की है।
सूत्र बताते हैं कि जल बोर्ड में विकास कार्य करने के लिए दो तरह की मंजूरियां लेनी होती हैं। पहला, प्रोजेक्ट के वर्क ऑर्डर का और दूसरा काम करने की प्रशासनिक मंजूरी का। उत्तरी दिल्ली में जल बोर्ड ने 776 करोड़ रुपये के एसटीपी प्लांट बनाने का काम एक निजी कंपनी को दिया गया। लेकिन प्रोजेक्ट के लिए मंजूरी नहीं ली गई।
सूत्रों की माने तो मामला जल बोर्ड के उपाध्यक्ष के पास भी आया था। लेकिन जल बोर्ड की मीटिंग से कुछ समय पहले फाइल आने पर उन्होंने इस मामले मंजूरी देने से मना कर दिया था।
इस मामले में एस्टीमेट कमेटी को शक है कि मंजूरी नहीं लेने के पीछे निजी कंपनी को फायदा पहुंचाना मकसद हो सकता है। कमेटी ने कार्रवाई करते हुए प्रोजेक्ट से जुड़े दस्तावेज जल बोर्ड से मांगे थे। इसमें बोर्ड ने पहले बुधवार का समय मांगा था। लेकिन अब सोमवार तक का समय लिया है।
इंजीनियर्स एसोसिएशन ने की विधानसभा उपाध्यक्ष से शिकायत
दिल्ली इंजीनियर्स एसोसिएशन ने शुक्रवार को कमेटी ऑन गवर्नमेंट अंडरटेकिंग के अध्यक्ष के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल को शिकायत दी है। एसोसिएशन का आरोप है कि समिति के अध्यक्ष विशेष रवि ने दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ सहित अन्य अधिकारियों के साथ बुरा व्यवहार किया।
एसोसिएशन के मुताबिक, 13 जुलाई को समिति की तरफ से बताया गया कि अगले दिन बैठक में उन्हें शामिल होना है। सीईओ समेत 30-40 अधिकारी समिति के सामने पहुंचें। लेकिन सीईओ के अलावा अध्यक्ष ने सभी को बाहर निकाल दिया।
इसके बाद बंद कमरे में सीईओ के साथ काफी बुरा व्यवहार किया। एसोसिएशन ने समिति अध्यक्ष व सदस्यों के खिलाफ इस मामले में कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही चेतावनी भी दी कि जलबोर्ड के सीईओ व कर्मचारियों के सम्मान के लिए कार्रवाई नहीं करने पर उन्हें विरोध प्रदर्शन करने पर मजबूर होना पड़ेगा।