सरकार की बढ़ी चिंता, हिमाचल पर कर्ज राष्ट्रीय औसत से दोगुना

सरकार की बढ़ी चिंता, हिमाचल पर कर्ज राष्ट्रीय औसत से दोगुना

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का हिमाचल सरकार पर बहुत अधिक कर्ज बढ़ने से चिंतित होना जायज है। राज्य योजना बोर्ड की बैठक में रखे गए आंकड़ों से साफ हुआ कि हिमाचल पर कर्ज राष्ट्रीय औसत से दोगुना है। देश में प्रति व्यक्ति कर्ज 28,381 करोड़ रुपये है जबकि हिमाचल के हर आदमी पर 64,127 करोड़ रुपये का ऋण चढ़ा है। दूसरी ओर हिमाचल प्रदेश की सालाना आमदनी साढे़ नौ हजार करोड़ रुपये है तो खर्च 27 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है। सरकार की बढ़ी चिंता, हिमाचल पर कर्ज राष्ट्रीय औसत से दोगुना मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में हुई राज्य योजना बोर्ड की बैठक में प्रदेश की राजकोषीय चुनौतियों पर भी चर्चा हुई। इसमें ये बात सामने आई कि प्रदेश की ऋण देनदारियां सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) की प्रतिशतता और प्रति व्यक्ति आय दोनों ही मामलों में देश के औसत से दोगुनी हैं।

जीएसडीपी पर हिमाचल की ये देनदारियां 34.40 प्रतिशत हैं तो ये अखिल भारतीय स्तर पर 23.90 फीसदी हैं। हिमाचल की प्रति व्यक्ति देनदारी देश के औसत 28,381 रुपये से 35,746 रुपये ज्यादा है। इसके बजाय अगर राजस्व प्राप्तियों की बात करें तो हिमाचल की चालू वित्तीय वर्ष में तमाम तरह के करों से आमदनी 7,945.78 करोड़ रुपये है तो गैर कर राजस्व से आय 1602.06 करोड़ रुपये ही है। 

खर्चे की बात करें तो ये 27 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का है। इसमें कर्मचारियों की तनख्वाह पर व्यय ही 9627.61 करोड़ रुपये का है जबकि पेंशन पर 4950.00 करोड़ रुपये है। दिहाड़ी पर ये सालाना खर्च 217.33, तनख्वाह पर ग्रांट इन एड 1264.91, गैर वेतन पर ग्रांट इन एड पर 1918.19, पूंजीगत परिसंपत्तियों की ग्रांट इन एड पर 740.33, ऋण ब्याज पर 3500.00, रखरखाव पर 2311.25 और प्रमुख कार्यों पर 3108.34 करोड़ रुपये है।

लीक से हटकर करें काम: सीएम

मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि वार्षिक योजना को प्रस्तावित करना तथा अनुमोदित करवाना पुरानी परंपरा है, लेकिन हमें कुछ अलग से करने की आवश्यकता है, जो अभी तक नहीं किया गया है। हमें उन क्षेत्रों के विकास के लिए कार्य करना होगा, जिनकी अभी तक चर्चा तक नहीं होती है।

अन्य मुख्य क्षेत्रों के साथ-साथ पर्यटन, युवा सेवाएं एवं खेल तथा निजी उत्पादकों के लिए सरल मानदंडों के साथ जल विद्युत उत्पादन पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। जयराम ठाकुर ने ये बात बुधवार को शिमला में वार्षिक योजना को स्वीकृत करने के लिए आयोजित राज्य योजना बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि महज पुरानी परंपराओं पर चल कर जिन उपलब्धियों को हासिल नहीं किया गया है।

इसे हासिल करने के लिए हमें ‘लीक से परे’ सोचने की आवश्यकता है, जिसे प्राप्त नहीं किया गया हो, उसे प्राप्त किया किया जा सके। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से बजट सत्र में 13 से 15 नई योजनाओं को लेकर आने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ‘मुझे पता है कि हमारे पास इसके लिए सीमित संसाधन हैं, लेकिन हम इन परियोजनाओं के लिए एजेंसियों अथवा केंद्र सरकार की सहायता से धनराशि का प्रावधान कर सकते हैं,’ लेकिन हमें नई सोच के साथ प्रस्तावों को प्रस्तुत करना होगा।

प्रदेश में लोगों के अनुरोध पर बिना सोचे-समझे शिक्षण संस्थान खोले जाने की घोषणा करने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए सीएम ने कहा कि कई स्वास्थ्य और शिक्षण संस्थानों में आवश्यक स्टाफ भी उपलब्ध नहीं हैं।  कुछ क्षेत्रों में बिना सोचे समझे विस्तार पर विराम लगाए जाने की आवश्यकता पर बल देते हुए जय राम ठाकुर ने कहा कि हमें गुणवत्ता पर अधिक ध्यान देना चाहिए तथा अनावश्यक बोझ और देनदारी खड़ी करने से बचना चाहिए।

40% खर्च मानव सूचकांक सुधार पर होगा

जयराम सरकार इस बार सामाजिक क्षेत्र को फोकस पर लेकर चल रही है। प्रदेश के कुल योजना आकार का चालीस प्रतिशत हिस्सा मानव विकास सूचकांक सुधार पर खर्च होना है। इसके तहत शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र के साथ विभिन्न तरह की सामाजिक क्षेत्र में दी जानी वाली पेंशन आदि शामिल है। वीरभद्र सरकार की तरह भाजपा सरकार की प्राथमिकता क्षेत्र एक समान हैं, लेकिन योजना आकार में प्रस्तावित धनराशि से साफ है कि फोकस बदला है।

कृषि और सिंचाई पर भी 6300 करोड़ के योजना आकार का 19 प्रतिशत हिस्सा खर्च होगा। वहीं, उद्योग और खनिज दोहन के साथ ऊर्जा क्षेत्र के विकास को प्रस्तावित योजनागत बजट घटाया गया है। परिवहन एवं संचार पिछली सरकार की तरह प्राथमिकता सूची में दूसरे स्थान पर है, लेकिन इस क्षेत्र की हिस्सेदारी स्टेट प्लान में एक प्रतिशत कम हुई है। 

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में राज्य योजना बोर्ड की बैठक में सरकार ने प्राथमिकता क्षेत्र में प्रस्तावित धनराशि तय की है। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में आधारभूत ढांचागत व्यवस्था सुधारने से मानव विकास सूचकांक में सुधार आएगा। सामाजिक क्षेत्र में सुधार के लिए बीते वित्तीय वर्ष में प्लान का 38 प्रतिशत प्रावधान जिसे अब बढ़ाकर 40.45 प्रतिशत किया है। सामाजिक क्षेत्र में सरकार की ओर से दी जानी वाली वृद्धा पेंशन आदि इसी क्षेत्र में आता है।

दूसरी प्राथमिकता परिवहन एवं संचार रहेगी, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों को सड़कों से जोड़ने पर विशेष बल दिया जाएगा, लेकिन सामाजिक क्षेत्र के बाद बड़ी बढ़ोतरी कृषि क्षेत्र में हुई है, जबकि सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण की योजनाओं पर सरकार ने अपना दृष्टिकोण और बेहतर किया है। कृषि क्षेत्र में कुल एक प्रतिशत की वृद्धि की गई है, जो बड़ा कदम माना जा रहा है। बाह्य सहायतित योजनाओं और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना से केंद्र से भी कृषि क्षेत्र में भारी मदद मिलती है।

केंद्र से मिलेंगे चार हजार करोड़

राज्य के वार्षिक प्लान का एक बड़ा हिस्सा केंद्र पोषित योजनाओं (सीएसएस) और बाह्य सहायतित योजनाओं (ईएपी) का रहेगा। ईएपी में एडीबी, वर्ल्ड बैंक सहित कई विदेशी एजेंसियों से 866.53 करोड़ रुपये का प्रावधान रहेगा। विभिन्न विभागों में सीएसएस के लिए 3168.96 करोड़ का केंद्र का हिस्सा प्लान में रखा गया है। प्रदेश में विकास योजनाओं के लिए केंद्र पोषित योजनाओं से बड़ी मदद मिलती है। 

केंद्र की सीएसएस योजनाओं में आर्थिक सेवाओं 1568 करोड़ रुपये का प्रावधान है, जिसमें कृषि, पशुपालन, सहकारिता, ग्रामीण विकास, रोजगार, पंचायती राज, सिंचाई. परिवहन, उद्योग आदि विभाग शामिल हैं। समाजिक क्षेत्र में 1600 करोड़ रुपये का प्रावधान है, जिसमें कृषि, स्वास्थ्य, तकनीकी शिक्षा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, शहरी विकास, समाज कल्याण आदि विभाग शामिल हैं। इसके अलावा सामान्य सेवाओं में लगभग एक करोड़ का प्रावधान है।

ईएपी में प्रावधान
विभाग       धनराशि (करोड़ रु)
कृषि            20
वन            125
पावर          430
सड़क -पुल  50
पर्यटन       70
पेयजल     10
अकाउंट    10

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