नई दिल्ली। सरकार की महत्वाकांक्षी ‘सागरमाला’ परियोजना 2017 में गति नहीं पकड़ पायी। सरकार का दावा है कि इस परियोजना के दौरान बंदरगाहरों के आधारभूत ढांचे के विकास और क्षमता में बढोतरी पर विशेष ध्यान दिया गया है लेकिन इस साल इसका काम गति नहीं पकड़ पाया।
बड़ी खबर: 500 करोड़ रुपये निवेश का ITC का प्रस्ताव, सरकार से 60 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने का आग्रह
केंद्र सरकार ने देश में जल परिवहन को बढ़ावा देने के लिए दो साल पहले यह महत्वाकांक्षी योजना शुरू की थी। इसका मकसद बंदरगाहों को आधुनिकरूप से विकसित कर, उनकी क्षमता बढाना तथा उन्हें रेल और सड़कों से इस तरह से जोडऩा है कि माल ढुलाई के लिए जलमार्गों का इस्तेमाल आसान हो।
समुद्री परिवहन की प्रबंधन और माल ढुलाई क्षमता को लेकर पिछले महीने जारी सरकारी आंकड़ों में बताया गया है कि देश के महत्वपूर्ण बंदरगाहों की माल ढुलाई की सालाना क्षमता 2016-17 के दौरान 1065.83 टन रही जो 2015-16 में 965.36 टन थी।
इसी तरह से इन बंदरगाहों में यातायात प्रबंधन क्षमता 2015-16 के 606.37 टन के मुकाबले 2016-17 में बढकर 648.40 टन रही।
बंदरगाहों का आधारभूत ढांचा मजबूत बनाने की योजना के तहत इस साल 57 नयी परियोजनाओं को मंजूरी दी गयी। बंदरगाहों के विकास और उनकी क्षमता बढाने के लिए इस साल 57 परियोजनाओ को मंजूरी दी गयी।
सागरमाला के दौरान अगले डेढ दशक में 91,434 करोड़ रुपये के निवेश से 142 पोत परियोजनाओ को विकसित करने की पहचान की जा चुकी है। बंदरगाहों और जलमार्गों के विकास के लिए पैसे की कमी नहीं हो इसके लिए केंद्रीय सडक निधि से 2.5% की राशि आवंटित की जानी है।
इस प्रस्ताव को नौवहन और सड़क परिवहन तथा राजमार्ग मंत्रालय से स्वीकृति दी गयी है और उसके बाद केन्द्रीय सड़क निधि अधिनियम 2000 में संशोधन किया गया।