अधिसूचना को लेकर रत्न और आभूषण उद्योग ने नए मानकों पर गंभीर चिंता जताई। ज्वेलरी इंडस्ट्री दावा करती है कि सरकार ने इन मानदंडो में संशोधन के लिए उद्योग से परामर्श नहीं लिया।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के अनुसार मानदंडो में सरकार द्वारा जो संशोधन किये जा रहे हैं उससे ज्वेलरी सेक्टर क्या परेशानी आएगी इसके लिए उद्योग को अपनी बात प्रस्तुत करने के लिए अवसर दिया गया है। यह फैसला रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद के प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
अपनी बात रखने के लिए उद्योग और परिषद के पास एक महीने का समय है। उद्योग और परिषद को एक महीने के भीतर संबंधित मानदंड समिति को जानकारी/डेटा देना होगा।
डीजीएफटी के अपने पब्लिक नोटिस में कहा कि तब तक 27 मई, 2024 की सार्वजनिक सूचना को तत्काल प्रभाव से 31 जुलाई, 2024 तक स्थगित किया जाता है। 31 जुलाई तक मौजूद वेस्टेज मानदंड बहाल रहेंगे।
हालांकि, डीजीएफटी ने कहा कि इस साल 5 और 21 मार्च को उद्योग से परामर्श लिया गया था। 27 मई 2024 (सोमवार) को डीजीएफटी ने एक सार्वजनिक नोटिस में इन मानदंडों को कड़ा कर दिया, जिसके बाद निर्यातक समुदाय ने इस पर अपनी चिंता व्यक्त की।
इनपुट आउटपुट मानदंड में हुआ बदलाव
डीजीएफटी द्वारा जारी 27 मई के नोटिस के अनुसार अगर सोने या चांदी का आयात किया जाता है और निर्यात प्रोडक्ट में इसका इस्तेमाल किया जाता है तो उसके माउंटिंग और बेकार हिस्से का वजन को सोने और चांदी की शुद्ध सामग्री के निर्धारण में शामिल नहीं किया जाएगा।
इनपुट आउटपुट मानदंड में हुए संशोधन के अनुसार सादे सोने और प्लैटिनम आभूषणों के लिए वजन के हिसाब से वेस्टेज को 2.5 प्रतिशत से घटाकर 0.5 प्रतिशत कर दिया गया। इसी प्रकार जड़ित आभूषणों यानी ठोस आभूषण के लिए बर्बादी की सीमा 5 प्रतिशत से घटाकर 0.75 प्रतिशत कर दी गई।
वहीं, पदकों और सिक्कों की बर्बादी के मानदंडों को 0.2 प्रतिशत से घटाकर 0.1 प्रतिशत कर दिया गया।
आपको बता दें कि मानक इनपुट-आउटपुट मानदंड (SION) ऐसे नियम हैं जो निर्यात उद्देश्यों के लिए आउटपुट की एक इकाई के निर्माण के लिए आवश्यक इनपुट/इनपुट की मात्रा को परिभाषित करते हैं।
इनपुट-आउटपुट मानदंड इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनियरिंग, रसायन, मछली और समुद्री उत्पादों सहित खाद्य उत्पादों, हस्तशिल्प, प्लास्टिक और चमड़े के उत्पादों जैसे उत्पादों के लिए लागू होते हैं।