नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में ट्रिपल तलाक मामले की सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि यदि कोर्ट तीन तलाक को अवैध एवं असंवैधानिक करार देता है तो वह मुसलमानों में विवाह एवं तलाक के नियमन के लिए विधेयक लेकर आएगा।
सुनवाई के दौरान पीठ के अटार्नी जनरल से यह पूछने पर कि तीन तलाक को खत्म करने पर क्या विकल्प है रोहतगी ने कहा कि सुप्रीम इसे अवैध और असंवैधानिक करार देता है तो केंद्र विवाह और तलाक के नियमन के लिये कानून बनाने को तैयार है। पीठ ने कहा कि हम इस देश में मौलिक अधिकार और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के संरक्षक हैं। रोहतगी ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को सामान अधिकार नहीं मिल रहे हैं जबकि हमारे देश के तुलना में अन्य देशों में मुस्लिम महिलाओं के पास काफी अधिकार हैं। तीन तलाक के कारण समाज, देश और दुनिया में मिल रहे अधिकारों से मुस्लिम महिलाओं को वंचित रखता है। अटार्नी जनरल की इस मांग पर कि बहुविवाह, निकाह और हलाला की भी समीक्षा की जानी चाहिए पीठ ने कहा कि इसकी भी समीक्षा होगी।
कोर्ट ने कहा कि अभी तीनों मामलों पर सुनवाई के लिए सीमित समय है इसलिये फिलहाल तीन तलाक पर ही सुनवाई करेंगे। पीठ के अन्य सदस्यों में मुख्य न्यायाधीश के अलावा न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ , न्यायमूर्ति रोहिंगटन, फ नरीमन, न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर हैं। न्यायालय ने इस मुद्दे पर 11 मई से रोजाना सुनवाई शुरू की थी जो 19 मई तक चलेगी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की नजर में तलाक एक घिनौना लेकिन वैध रिवाज है खुर्शीद ने कहा था उनकी निजी राय में तीन तलाक पाप है और इस्लाम किसी भी गुनाह की इजाजत नहीं देता।
वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व कानून मंत्री राम जेठमलानी ने भी तीन तलाक को संविधान के अनुच्छेद 14 में प्रदत्त समानता के अधिकारों का उल्लंघन बताया था। जेठमलानी ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 सभी नागरिकों को बराबरी का हक देते हैं और इनकी रोशनी में तीन तलाक असंवैधानिक है। उन्होंने दावा किया कि वह बाकी मजहबों की तरह इस्लाम के भी छात्र हैं। उन्होंने हजरत मोहम्मद को ईश्वर के महानतम पैगम्बरों में से एक बताया और कहा कि उनका संदेश तारीफ के काबिल है। पूर्व कानून मंत्री ने कहा कि महिलाओं से सिर्फ उनके लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं हो सकता है।
वहीं इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह समय की कमी की वजह से सिर्फ तीन तलाक पर सुनवाई करेगा लेकिन केन्द्र के जोर के मद्देनजर बहुविवाह और निकाह हलाला के मुद्दों को भविष्य में सुनवाई के लिए खुला रख रहा है। मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा हमारे पास जो सीमित समय है उसमें तीनों मुद्दों को निबटाना संभव नहीं है। हम उन्हें भविष्य के लिए लंबित रखेंगे। अदालत ने यह बात तब कही जब केन्द्र सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि दो सदस्यीय पीठ के जिस आदेश को संविधान पीठ के समक्ष पेश किया गया है उसमें तीन तलाक के साथ बहुविवाह और निकाह हलाला के मुद्दे भी शामिल हैं।
केन्द्र की यह बात सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के मद्देनजर अहम है कि वह सिर्फ तीन तलाक का मुद्दा निबटाएगा और वह भी तब जब यह इस्लाम के लिए बुनियादी मुद्दा होगा। रोहतगी ने संविधान पीठ से यह साफ करने के लिए कहा कि बहुविवाह और निकाह हलाला के मुददे अब भी खुले हैं और कोई और पीठ भविष्य में इसे निबटाएगी। अदालत ने स्पष्ट किया इन्हें भविष्य में निबटाया जाएगा।